नेपाल में नहीं टिक पाया 'मेड इन चाइना' गठबंधन, दो महीने में हुआ ओली-प्रचण्ड का तलाक
नेपाल में नाटकीय ढंग से बने मेड इन चाइना गठबंधन दो महीने भी नहीं टिक पाया. चीन को नेपाल में एक बार फिर झटका लगा है, क्योंकि उसके आदेश और निर्देश पर बना कम्युनिष्ट गठबंधन दो महीने भी नहीं चल पाया.
काठमांडू :
नेपाल में नाटकीय ढंग से बने मेड इन चाइना गठबंधन दो महीने भी नहीं टिक पाया. चीन को नेपाल में एक बार फिर झटका लगा है, क्योंकि उसके आदेश और निर्देश पर बना कम्युनिष्ट गठबंधन दो महीने भी नहीं चल पाया. नेपाल में प्रधानमंत्री पद को लेकर नाटकीय अंदाज में चुनावी गठबंधन टूटा और ओली के समर्थन में प्रचण्ड ने नया गठबंधन बनाकर सरकार का गठन किया था. प्रधानमंत्री पद के स्वार्थ में बना गठबंधन आज राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी को लेकर टूट भी गया.
दरअसल, जब ओली ने प्रचण्ड को प्रधानमंत्री बनाया था तो उस समय उन दोनों के बीच में एक समझदारी हुई थी कि संसद का स्पीकर और राष्ट्रपति का पद ओली की पार्टी को दिया जाएगा. स्पीकर तो ओली की पार्टी को दे दिया गया, लेकिन जब राष्ट्रपति पद की बारी आई तो प्रचण्ड ने ओली को ठेंगा दिखाते हुए एक बार फिर नेपाली कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया.
राष्ट्रपति पद को लेकर नेपाल का सत्तारूढ़ गठबंधन टूट गया. मशहूर कहावत है कि चाइनीज सामान की कोई गारंटी नहीं है. उसी तरह से नेपाल में यह दूसरी बार है कि मेड इन चाइना गठबंधन टूट गया है. इससे पहले भी जब ओली और प्रचण्ड की एक ही पार्टी थी तब भी प्रधानमंत्री पद को लेकर दोनों में मतभेद हो गया था और दो तिहाई की बहुमत वाली पार्टी तीन धडों में बंट गया. उस समय भी ना सिर्फ ओली को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था, बल्कि नेपाल के सभी सात प्रोविन्स में भी ओली की पार्टी सत्ता से बाहर होना पड़ गया था.
नेपाल में ताजा राजनीतिक हालात और नाटकीय घटनाक्रम के बाद इस बार भी ओली की पार्टी को ना सिर्फ काठमांडू की सत्ता से बेदखल होना पड़ेगा, बल्कि सभी प्रांतीय सरकार से भी उनकी पार्टी को बाहर कर दिए जाने की समझदारी हुई है. नए गठबंधन के बीच जो समझदारी हुई है उसके मुताबिक प्रमुख विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस पार्टी को राष्ट्रपति का पद मिलेगा. बदले में कांग्रेस प्रचण्ड को तीन सालों तक प्रधानमंत्री पद पर समर्थन जारी रखेगी. इसके बाद एक-एक साल तक नेपाली कांग्रेस के शेरबहादुर देउवा और आखिरी का एक वर्ष तक माधव कुमार नेपाल को सत्ता का नेतृत्व करने का मौका मिलेगा.
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प्रधानमंत्री निवास में लगातार हुई मैराथन बैठकों के बाद आखिरकार सत्तारूढ़ गठबंधन को बदलने पर सहमति हुई और एमाले को बाहर करते हुए कांग्रेस को सत्ता में साझेदारी देने पर सहमति हुई है. नेपाल में राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर शनिवार को उम्मीदवारी के नामांकन दाखिले का समय है. कांग्रेस के तरफ से पार्टी के वरिष्ठ नेता रामचंद्र पौडेल को उम्मीदवारी बनाने की प्रबल सम्भावना है. कांग्रेस पार्टी शनिवार सुबह को ही उम्मीदवारी की औपचारिक घोषणा करने वाली है.
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