जापान में बंदूक का लाइसेंस लेना हिमालय चढ़ने जितना कठिन, सबसे कम गन क्राइम
शॉटगन और एयर राइफल्स को खरीदने के लिए लाइसेंस हासिल करना भी आसान नहीं है. यह एक दीर्घकालिक प्रक्रिया होती है, जिसमें अत्यधिक धैर्य की जरूरत होती है.
highlights
- जापान में सिर्फ शॉर्टगन और एयरराइफल्स रखने की अनुमति
- इनका लाइसेंस हासिल करना भी आसान नहीं, लंबी है प्रक्रिया
- जापान में प्रति 100 में 0.25 लोगों के पास लाइसेंस हथियार
नई दिल्ली:
जापान (Japan) के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Shinzo Abe) की होममेड गन से गोली मार कर हत्या से देश-दुनिया स्तब्ध है. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि बंदूक या पिस्टल के लाइसेंस के कठोर नियमों की वजह से जापान में गन क्राइम सबसे कम है. 12 करोड़ 50 लाख की आबादी वाले इस देश में हालिया इतिहास में एक साल में सबसे ज्यादा गन क्राइम (Gun Crime) 2018 में देखने में आए थे, जब 9 लोगों को गोली लगने से जान गंवानी पड़ी थी. यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के सिडनी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक 2018 में ही अमेरिका में गन कल्चर के चलते 39,740 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था. जापान के समाज शास्त्र और राजनीति शास्त्र के विशेषज्ञ मान रहे हैं कि आबे की गोली मार की गई हत्या से काफी कुछ बदल जाएगा.
शॉटगन और एयर राइफल्स बिक्री की ही अनुमति
जापान के फायर आर्म्स कानून के तहत सिर्फ शॉटगन और एयर राइफल्स की ही बिक्री की अनुमति है. हैंडगन रखना कानूनन अपराध है. यही नहीं, शॉटगन और एयर राइफल्स को खरीदने के लिए लाइसेंस हासिल करना भी आसान नहीं है. यह एक दीर्घकालिक प्रक्रिया होती है, जिसमें अत्यधिक धैर्य की जरूरत होती है. आग्नेय अस्त्रों का लाइसेंस हासिल करने के लिए खरीदने के इच्छुक शख्स को लंबी क्लास ज्वाइन करनी पड़ती है. लिखित परीक्षा पास करनी होती है. फिर शूटिंग रेंज में उसका टेस्ट लिया जाता है, जहां निशानेबाजी में 95 फीसद एक्यूरेसी के साथ प्रदर्शन करना होता है. इसके बाद भी लाइसेंस तब कहीं जाकर मिलता है, जब संबंधित शख्स मानसिक स्वास्थ्य का आकलन और ड्रग टेस्ट समेत पृष्ठभमि की जांच से जुड़ी कठिन प्रक्रिया में खरा उतरता है. बैकग्राउंड चेक में संबंधित शख्स की आपराधिक पृष्ठभूमि, निजी ऋण, संगठित अपराध में संलिप्तता समेत नाते-रिश्तेदारों से संबंधों का पता लगाया जाता है.
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प्रत्येक 100 जापानियों के पास 0.25 आग्नेयास्त्र
एक बार लाइसेंस मिल जाने और शॉटगन या एयर राइफल्स खरीदने के बाद संबंधित शख्स को पुलिस में उस हथियार का पंजीकरण कराना होता है. फिर उस हथियार और गोलियों को घर पर कहां रखा जाएगा, इसकी जानकारी साझा करनी होती है. घर पर वह हथियार अलग से ताले में रखा जाता है. साल में एक बार पुलिस उस हथियार की की जांच करती है. लाइसेंस की नवीनीकरण के लिए हर तीन साल में संबंधित शख्स को फिर से पहले की तरह क्लास ज्वाइन करने होते और पहले वाली सभी कवायद पूरी करनी पड़ती है. लाइसेंस की कठिन औऱ जटिल प्रक्रिया की वजह से ही जापान में आग्नेयास्त्रों का स्वामित्व बेहद कम है. अगर आंकड़ों की भाषा में कहें तो 2017 में जापान में नागरिकों के पास 3,77,000 बंदूके थीं यानी प्रत्येक 100 लोगों में 0.25 के पास ही आग्नेयास्त्र थे. जापान के विपरीत अमेरिका में प्रति 100 लोगों के पास 120 अग्नेयास्त्र हैं.
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कठोर सजा का भी है प्रावधान
2007 में पब्लिक शूटिंग की आखिरी वारदात हुई थी, जब नागासाकी के मेयर इछो इटो की प्वाइंट ब्लैंक रेंज से गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. यह हमला एक गैंगस्टर ने किया था, जिसके बाद जापान में बंदूक सरीखे हथियारों को लेकर और कड़ाई बरती जाने लगी. संगठित अपराध से जुड़े अपराधियों के लिए गन ऑफेंसेस और कड़े कर दिए गए. सजा भी बेहद कड़ी कर दी गई. इसके तहत संगठित अपराध से जुड़े गिरोहों के सदस्य के पास बंदूक पाए जाने पर 15 साल तक की सजा मुकर्रर की गई. एक से ज्यादा बंदूक रखने पर भी 15 साल की सजा तय की गई. यही नहीं, सावर्जनिक स्थानों पर हवा में बंदूक लहराने मात्र पर ही आजीवन कारावास की सजा दी जाती है. ऐसे में तत्सुका यामागामी द्वारा हैंडमेड गन से आबे की हत्या के बाद विशेषज्ञों को लग रहा है कि इसका समाज पर कहीं गहरा प्रभाव पड़ेगा.
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