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कश्मीर मुद्दे पर भारत को अमेरिका के मध्यस्थता की जरुरत नहीं- एस. जयशंकर

भारत हमेशा से कहता आया है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश पाकिस्तान को पहले आतंकवाद छोड़ना पड़ेगा तभी जाकर भारत से किसी भी तरह की बात हो पाएगी.

Updated on: 02 Aug 2019, 12:55 PM

highlights

  • अमेरिकी विदेश मंत्री और भारतीय विदेश मंत्री  की हुई मुलाकात.
  • भारत को कश्मीर मुद्दे पर किसी देश की मध्यस्थता की जरुरत नहीं. 
  • वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान ने मध्यस्थता पर है राजी. 

नई दिल्ली:

कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता (Mediation on Kashmir Issue) की बात करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (American President Donald Trump) को भारत की ओर से कड़ा और साफ संदेश दिया गया है कि पाकिस्तान के साथ कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए किसी की भी मध्यस्थता भारत स्वीकार नहीं करेगा. भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि उन्होंने यह बात अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल पोम्पियो (Mike Pompeo,United States Secretary of State) को साफ कर दी है और भारत अपने बात पर ही रहेगा.

भारत हमेशा से कहता आया है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश पाकिस्तान को पहले आतंकवाद छोड़ना पड़ेगा तभी जाकर भारत से किसी भी तरह की बात हो पाएगी.गुरुवार को ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि भारत चाहे तो अमेरिका कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता या मदद के लिए तैयार होने की बात कही थी. इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि यह दोनों देशों पर निर्भर करता है कि दोनों देश विवाद को सुलझाना चाहते हैं कि नहीं.

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बता दें कि पिछले हफ्ते ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ एक बैठक की थी जिसमें उन्होंने कश्मीर मुद्दे को सुलझाने में मदद करने की पेशकश की थी. हालांकि पाकिस्तान ने इस पेशकश का स्वागत किया था जबकि भारत की ओर से इस पेशकश को खारिज कर दिया है.

इसके पहले इमरान खान (Imran Khan, Prime Minister of Pakistan) की अमेरिका यात्रा के दौरान डोनाल्‍ड ट्रंप ने कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी ने जापान के ओसाका में मुलाकात के दौरान कश्‍मीर पर मध्‍यस्‍थता की गुजारिश की थी. भारत ने इस पर अमेरिका के सामने तीखी आपत्‍ति जताई थी. इसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय और व्‍हाइट हाउस को सफाई तक देनी पड़ी थी. वहां के कुछ सांसदों ने तो भारतीय राजदूत से माफी भी मांगी थी.

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उसके बाद अमेरिका ने अपने आधिकारिक बयान में कहा था कि हम कश्‍मीर को अब भी द्विपक्षीय मसला मानते हैं और मध्‍यस्‍थता करने का हमारा कोई इरादा नहीं है.