जानिए UNO में चीन के इकोनॉमिक कॉरिडोर की आलोचना के वक्त क्या हुआ?
सीपीईसी को लेकर भारत चीन पर मुखर आपत्ति जताता रहा है क्योंकि इसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के जरिए बिछाया जा रहा है.
highlights
- बीआरआई शी जिनपिंग द्वारा 2013 में सत्ता में आने पर शुरू की गई एक बहु-अरब डॉलर की पहल है
- सीपीईसी पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ता है
- इसका उद्देश्य चीन के प्रभाव को बढ़ाना और दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया को एक नेटवर्क के साथ जोड़ना है
नई दिल्ली:
संयुक्त राष्ट्र की बैठक में भारतीय राजनयिक के बोलने के वक्त अचानक माइक बंद होने की घटना दुनिया के राजनयिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है. भारतीय दूतावास की दूसरी सचिव, प्रियंका सोहोनी ने जब अपनी बात रखनी शुरू की तो बैठक कक्ष की माइक अचानक काम करना बंद कर दिया. सोहोनी चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) और इसकी प्रमुख परियोजना - सीपीईसी (CPE) पर भारत की आपत्ति दर्ज करा रही थी. कार्यक्रम में भारतीय राजनयिक ने जैसे ही चीन की विवादास्पद परियोजनाओं पर सवाल उठाने शुरू किए 'माइक बंद' हो गया और इसे सही होने में काफी वक्त लगा. 14 से 16 अक्टूबर तक चीन द्वारा आयोजित संयुक्त राष्ट्र की बैठक में अचानक "माइक फेलियर" ने विश्व राजनय में खलबली मचा दी है.
इंडियन डिप्लोमेट (Indian Diplomat) की बात पूरी नहीं हुई थी कि अगले स्पीकर का वीडियो भी चलना शुरू हो गया, लेकिन इसे चीन के पूर्व उप विदेश मंत्री, संयुक्त राष्ट्र के अवर महासचिव लियू जेनमिन ने रोक दिया, और भारतीय दूतावास की दूसरी सचिव, प्रियंका सोहोनी से आग्रह किया कि अपना भाषण जारी रखें.
सम्मेलन हॉल में माइक सिस्टम बहाल होने के बाद, लियू ने कहा, प्रिय प्रतिभागियों, हमें खेद है. हम कुछ तकनीकी समस्याओं का सामना कर रहे हैं और अगले स्पीकर का वीडियो चलाया. मुझे इसके लिए खेद है और सोहोनी को अपना भाषण फिर से शुरू करने के लिए कहा.
"आप भाग्यशाली हैं..आप वापस आ गए हैं और वापस स्वागत है," उन्होंने सोहोनी से कहा, जिसके बाद भारतीय राजनयिक ने बिना किसी रुकावट के अपना भाषण जारी रखा.
सोहोनी ने कहा, "हम भौतिक संपर्क बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की इच्छा को साझा करते हैं और मानते हैं कि इससे सभी को समान और संतुलित तरीके से अधिक से अधिक आर्थिक लाभ मिलना चाहिए."
यह भी पढ़ें: गिफ्ट में मिली थी 10 लाख डॉलर की घड़ी, इमरान खान ने बेचकर लगाया पाक को चूना
उन्होंने कहा, "भौतिक संपर्क का विस्तार और मजबूती भारत की आर्थिक और कूटनीतिक पहल का एक अभिन्न अंग है."
सोहोनी ने कहा “इस सम्मेलन में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव या बीआरआई के कुछ संदर्भ मिले हैं. यहां मैं यह कहना चाहती हूं कि जहां तक चीन के बीआरआई का संबंध है, हम उससे विशिष्ट रूप से प्रभावित हैं. सोहोनी ने कहा कि तथाकथित चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को एक प्रमुख परियोजना के रूप में शामिल करना भारत की संप्रभुता को प्रभावित करता है.
बीआरआई चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा 2013 में सत्ता में आने पर शुरू की गई एक बहु-अरब डॉलर की पहल है. इसका उद्देश्य चीन के प्रभाव को बढ़ाना और दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि और समुद्री मार्ग के एक नेटवर्क के साथ जोड़ना है. 60 अरब अमेरिकी डॉलर का सीपीईसी, जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ता है, बीआरआई की प्रमुख परियोजना है.
सीपीईसी को लेकर भारत चीन पर मुखर आपत्ति जताता रहा है क्योंकि इसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के जरिए बिछाया जा रहा है. बीजिंग अपनी ओर से भारत की आपत्तियों को यह कहकर खारिज कर रहा है कि यह एक आर्थिक पहल है और इसने कश्मीर मुद्दे पर अपने सैद्धांतिक रुख को प्रभावित नहीं किया है.
सोहोनी ने कहा, "कोई भी देश उस पहल का समर्थन नहीं कर सकता है जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर अपनी मूल चिंताओं की अनदेखी करता है."
“इसके अलावा कनेक्टिविटी की पहल को कैसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए, इसके बारे में भी बड़े मुद्दे हैं. उन्होंने कहा कि हमारा दृढ़ विश्वास है कि कनेक्टिविटी पहल सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय मानदंडों पर आधारित होनी चाहिए."
उन्हें खुलेपन, पारदर्शिता और वित्तीय जिम्मेदारी के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए और राष्ट्रों की संप्रभुता, समानता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने वाले तरीके से आगे बढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत अपने हिस्से के लिए इन सिद्धांतों का पालन करता है और मानव केंद्रित दृष्टिकोण के माध्यम से सतत विकास के लिए सामूहिक प्रयास करने के लिए तैयार है.
यह भी पढ़ें: 2018 में फ्लोरिडा स्कूल शूटिंग मामले में बंदूकधारी ने अपना जुर्म कबूला
सोहोनी ने यह भी कहा कि भारत ने स्वच्छ ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, वनों की कटाई और जैव विविधता के क्षेत्र में साहसिक कदम उठाए हैं.
सोहोनी ने कहा “हमारे पास 2030 तक 450 GW का महत्वाकांक्षी अक्षय ऊर्जा लक्ष्य है जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। यह बिना किसी कारण के नहीं है इसलिए हम उन कुछ देशों में से हैं जिनके एनडीसी (राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित दो डिग्री संगत हैं,”
"हम ट्रैक पर हैं और पेरिस से अपनी प्रतिबद्धताओं और लक्ष्यों को पार कर गए हैं. उत्सर्जन की तीव्रता में 24 प्रतिशत की गिरावट पहले ही हासिल की जा चुकी है."
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Maa Laxmi Shubh Sanket: अगर आपको मिलते हैं ये 6 संकेत तो समझें मां लक्ष्मी का होने वाला है आगमन
-
Premanand Ji Maharaj : प्रेमानंद जी महाराज के इन विचारों से जीवन में आएगा बदलाव, मिलेगी कामयाबी
-
Aaj Ka Panchang 29 April 2024: क्या है 29 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Arthik Weekly Rashifal: इस हफ्ते इन राशियों पर मां लक्ष्मी रहेंगी मेहरबान, खूब कमाएंगे पैसा