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मालदीव आपातकाल पर भारत के रुख से परेशान चीन ने हिंद महासागर में भेजे युद्धपोत

मालदीप के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामिन द्वारा देश में 15 दिन के लिए लगाए गए अपातकाल आज समाप्त हो रही है। भारत ने भी इस मुद्दे पर प्रकिक्रिया देते हुए इमर्जेंसी हटाए जाने की मांग की है।

Updated on: 20 Feb 2018, 08:19 PM

नई दिल्ली:

मालदीप के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामिन द्वारा देश में 15 दिन के लिए लगाए गए अपातकाल आज समाप्त हो रहा है। भारत ने इस मुद्दे पर प्रकिक्रिया देते हुए इमर्जेंसी हटाए जाने की मांग की है।

भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया,' 5 फरवरी 2018 को मालदीव में घोषित आपातका आज शाम समाप्त हो जाएगी। हमे उम्मीद है कि मालदीव की सरकार आपात स्थिति के विस्तार की मांग नहीं करेगी और वहां राजनीतिक प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से फिर से शुरू हो जाएगा।'

भारत ने कहा- आपातकाल खत्म होने के तुरंत बाद न्यायपालिका सहित अन्य लोकतांत्रिक संस्थानों को स्वतंत्र रूप से और संविधान के अनुसार निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए।'

आपको बता दे कि मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने सोमवार को संसद से कहा कि वह आपातकाल को 30 दिनों के लिए बढ़ाना चाहते हैं।

इस बीच खबर है कि भारत को इस मामले से दूर रहने की हिदायत देने वाली चीन खुद हिंद महासागर में अपने युद्धपोतों की गतिविधियों को बढ़ा दिया है। इस महीने में चीन के 11 युद्धपोत पूर्वी हिंद महासागर पहुंच गए हैं। मालदीव हिंद महासागर के अहम कारोबारी रूट पर स्थित है, जहां चीन लगातार अपना दखल बढ़ा रहा है।

हालाकि भारतीय नौसेना ने इस तरह की खबरों का खंडन किया है और कहा है कि हिंद महासागर में किसी भी तरह की कोई चाइनिस मुवमेंट नही ंदेखी गई है।

मालदीप में क्यों लगा है आपातकाल

आपको बता दे 5 फरवरी को मालदीप में राष्ट्रपति यामन अब्दुल्ला ने उस वक्त देश में अपातकाल लगा दी थी जब न्यायपालिका ने पूर्व राष्ट्रपति नशीद समेत 9 राजनीतिक बंदियों को रिहा करने का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्ला यामीन की पार्टी से बगावत करने वाले 12 सांसदों को भी बहाल करने का आदेश दिया। इन 12 सांसदों की सदस्यता बहाल होने के बाद यामीन सरकार अल्पमत में आ जाती और नशीद की पार्टी की अगुआई वाला संयुक्त विपक्ष बहुमत में आ जाता। लेकिन अब्दुल्ला यामीन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने से इनकार कर दिया और सेना को स्पष्ट आदेश दिया कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की नाफरमानी करे और फिर देश में अपातकाल लगा दी।