China के झूठ का पर्दाफाश, सैटेलाइट इमेज दिखा रहीं चीन के श्मशान घाटों पर जमा लाशें और भीड़
चीन के कई शहरों श्मशान घाटों और शवदाह गृहों में अस्थायी निर्माण कोरोना से मरने वाले लोगों की डेड बॉडी को रखने के लिए किया गया है. कर्मचारी दिन-रात अंतिम संस्कार को अंजाम दे रहे हैं. इसके साथ ही परिजन मृतक के अंतिम संस्कार की बाट जोहने को मजबूर हैं.
highlights
- चीन के कई शहरों के श्मशान घाटों और शवदाह गृहों में लाशों को रखने के लिए अस्थायी शेड बनाए गए
- अस्थायी पार्किंग स्थल भी बता रहे हैं कि कोरोना संक्रमण से मरे लोगों के अंतिम संस्कार में चल रही वेटिंग
- फिर भी चीन कोरोना मौतों से जुड़े आंकड़ों को छिपा रहा है और पर्दा डालने को झूठे तथ्यों का सहारा ले रहा
बीजिंग:
चीन (China) के कई शहरों के श्मशान घाटों और शवदाह गृहों (Crematorium) की ताजा सैटेलाइट तस्वीरों से कोविड-19 (COVID-19) मौतों पर उसके झूठ का पर्दाफाश हुआ है. इन तस्वीरों से श्मशान घाटों और शवदाह गृहों में एकत्र भीड़ या बनाए गए नए पार्किंग स्थल साफ देखे जा सकते हैं . ये तस्वीरें दिसंबर में बीजिंग द्वारा सख्त कोरोना प्रतिबंध हटाए जाने के बाद से देश में फैल रही कोविड लहर और इस कारण हो रही मौतों (Corona Deaths) के वास्तविक पैमाने को उजागर करती हैं. दिसंबर के अंत और जनवरी की शुरुआत में मैक्सार टेक्नोलॉजीज द्वारा ली गई सैटेलाइट तस्वीरों में बीजिंग के बाहरी इलाके तांगशान का श्मशान घाट दिख रहा है, जहां नए पार्किंग क्षेत्र का निर्माण किया गया है. इसके अलावा कुनमिंग, नानजिंग, चेंगदू, तांगशान और हुज़ो में शवदाह गृहों के बाहर इंतजार कर रहे वाहनों की कतारें भी बयान कर रही हैं कि कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा कहीं ज्यादा है. तमाम सोशल मीडिया पोस्ट्स ने भी अंतिम संस्कार के लिए लंबे समय तक प्रतीक्षा और अन्य सुविधाओं की कमी का खुलासा किया है.
चीन के छोटे शहरों और कस्बों की हालत तो और भी भयावह
चीनी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार श्मशान घाटों और शवदाह गृहों में अस्थायी निर्माण कोरोना से मरने वाले लोगों की डेड बॉडी को रखने के लिए किया गया है. लाशों के अत्यधिक बोझ से परेशान कर्मचारी दिन-रात अंतिम संस्कार को अंजाम दे रहे हैं. इसके साथ ही परिजन मृतक को दफनाने या दाह संस्कार करने के लिए कई-कई दिनों की प्रतीक्षा कर रहे हैं. चीन अपनी पहली राष्ट्रीय कोविड लहर से जूझ रहा है. इस कारण बीजिंग के दक्षिण-पश्चिम में छोटे शहरों और कस्बों के आपातकालीन वार्ड मरीजों और लाशों के बोझ से चरमरा गए हैं. इस बात को लेकर चिंता भी बढ़ रही हैं कि इस महीने नए लूनर इयर की छुट्टी में कोरोना वायरस छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी फैल जाएगा, क्योंकि सैकड़ों हजारों की संख्या में लोग त्योहार मनाने अपने-अपने घर पहुंचेंगे. इन लाखों लोगों में से अधिसंख्य कोरोना महामारी की वजह से तीन साल बाद अपने परिवार के साथ मिलेंगे. चीन के ग्रामीण क्षेत्र और कस्बों में इस बोझ से निपटने के पर्याप्त इंतजाम भी नहीं हैं.
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अस्पतालों से कोरोना संक्रमितों को किया जा रहा वापस
चीन में कोरोना संक्रमण की तेजी का आलम यह है कि अस्पतालों की इंटेसिव केयर यूनिट्स से कोरोना संक्रमितों को ला रही एंबुलेंस को वापस किया जा रहा है. कोरोना से संक्रमित लोगों के रिश्तेदार अस्पतालों में बेड्स की तलाश कर रहे हैं. अस्पताल में बेड्स की कमी का आलम यह है कि कोरोना मरीजों को अस्पताल के गलियारों में रखी बेंचों और फर्श पर लेटा कर उपचार दिया जा रहा है. गौरतलब है कि चीन ने हाल ही में अपने सख्त जीरो कोविड पॉलिसी में जबर्दस्त छूट दी है. इस पॉलिसी के तहत चीनी नागरिक दो साल से अधिक समय से अपने-अपने घर पर कैदी सा जीवन बिताने को मजबूर थे. इन प्रतिबंधों के खिलाफ दिसंबर में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और तमाम शहरों में आंदोलनकारी सड़कों पर उतर आए. इसके बाद शी जिनपिंग प्रशासन ने कोविड प्रतिबंधों में ढील देनी शुरू कर दी. हालांकि चीन की सख्त कोरोना नीति ने उसकी बड़ी आबादी को पश्चिमी देशों में देखी जाने वाली सामूहिक मौतों से बचाया था. हालांकि कुछ अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि विरोध के बाद प्रतिबंधों को हटाने से कोविड संक्रमण बड़े पैमाने पर अनियंत्रित रूप से फैल रहा है और एक दिन में लाखों लोगों को संक्रमित कर रहा है.
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कोरोना मौतों की छिपा रहा है शी जिनपिंग प्रशासन
कोरोना संक्रमण मामलों में जबर्दस्त उछाल के बावजूद चीनी सरकार लगातार इस बात पर जोर दे रही है कि 7 दिसंबर के बाद से चीन में कोविड से 40 से कम लोगों की मौत हुई है. कोविड मौतों का सही अंदाजा इसलिए भी लगाना मुश्किल हो रहा है क्योंकि चीन ने कोरोना संक्रमित और मौतों की गिनती के पैमाने में ही आमूल-चूल बदलाव कर दिए हैं. गौरतलब है कि दिसंबर के बाद से केवल श्वसन विफलता से मरने वाले लोगों को आधिकारिक गणना में शामिल किया जा रहा है, भले ही वे कोरोना वायरस से संक्रमण के कारण ही क्यों न मरे हों. चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों ने ऑमीक्रॉन वैरिएंट की कम 0.1 मृत्यु दर प्रतिशत का हवाला देकर जनता को आश्वस्त करने का प्रयास किया है, लेकिन उनके झूठ पर चीनी नागरिकों समेत अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को भी यकीन नहीं आ रहा है. आधिकारिक तौर पर कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से चीन में कोविड से सिर्फ 5,200 से अधिक लोगों की मौत हुई है. हालांकि अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के मुताबिक चीन में कोरोना संक्रमण से वास्तविक मृत्यु दर प्रति दिन 5,000 लोगों से अधिक है. कई विशेषज्ञ तो सिर्फ 2023 में चीन में अब तक10 लाख से अधिक कोविड मृत्यु की भविष्यवाणी कर रहे हैं.
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