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आजादी मार्च (Azadi March) से नहीं डरेगी इमरान सरकार (Imran Khan), कहा- डेडलाइन खत्म होने से पहले ये नहीं होगी

प्रधानमंत्री इमरान खान (PM Imran Khan) के इस्तीफे के लिए जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान द्वारा निर्धारित रविवार को दो दिवसीय समय सीमा समाप्त होने से पहले सरकार ये नहीं करेगी.

Updated on: 02 Nov 2019, 06:58 PM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री इमरान खान के इस्तीफे के लिए जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान द्वारा निर्धारित रविवार को दो दिवसीय समय सीमा समाप्त होने से पहले विपक्ष के साथ बातचीत करने का सरकार का कोई इरादा नहीं है. डॉन न्यूज के मुताबिक, शिक्षा एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण के संघीय मंत्री शफकत महमूद ने यह जानकारी दी. महमूद प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा गठित सरकार की बातचीत करने वाली टीम के सदस्य हैं, जिन्हें विपक्षी दलों से वार्ता करने के लिए 27 अक्टूबर को आजादी मार्च के शुरू होने से पहले नियुक्त किया गया था.

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प्रधानमंत्री इमरान खान (Pm Imran Khan) ने शनिवार को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) की कोर कमेटी की बैठक बुलाई, जिसमें जेयूआई-एफ से संबंधित रणनीति पर चर्चा की गई. महमूद ने कहा कि विपक्षी दलों ने सहमति के अनुसार अपनी सार्वजनिक बैठक निर्धारित स्थल पर आयोजित की थी और अब तक उन्होंने कोई घोषणा नहीं की है कि वे डी-चौक या किसी अन्य स्थान के लिए आगे बढ़ेंगे या नहीं.

उन्होंने कहा कि मौलाना फजलुर रहमान ने घोषणा की थी कि वे दो दिनों के बाद अगला फैसला करेंगे. महमूद ने कहा, "हमें कोई आपत्ति नहीं है, अगर वे दो दिन, तीन दिन या उससे भी अधिक समय तक बैठे रहेंगे." उन्होंने कहा, "जब वे (विपक्ष) एक निर्णय करेंगे और अगर कोई नई स्थिति उत्पन्न होती है, तो हम अपनी रणनीति को अंतिम रूप देंगे."

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महमूद ने कहा कि अगर विपक्ष की कोई विशेष मांग हो तो वार्ता की जा सकती है. उन्होंने एक बार फिर स्पष्ट रूप से कहा कि प्रधानमंत्री के इस्तीफे के मुद्दे पर बातचीत नहीं हो सकती है. मंत्री ने विपक्षी नेताओं द्वारा उनके भाषणों और टीवी इंटरव्यू में की जा रही दो मांगों का जिक्र करते हुए कहा, "दो मुद्दों पर बातचीत नहीं हो सकती। प्रधानमंत्री का इस्तीफा और ताजा चुनाव."

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महमूद ने रावलपिंडी और इस्लामाबाद शहरों में सामान्य जनजीवन प्रभावित होने पर विपक्ष की आलोचना की. उन्होंने विपक्ष की रैली के कारण रावलपिंडी और इस्लामाबाद में शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने पर खेद व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि सरकार को सड़कों और ट्रैफिक डायवर्जन को बंद करने के कारण लोगों को हो रही कठिनाइयों का एहसास है, मगर वह इन प्रदर्शनकारियों को जबरन नहीं हटा सकते हैं.