logo-image

पीएम मोदी से 'राष्ट्रवाद' का चुनावी सबक सीख ट्रंप ने कहा- सुलेमानी को मारने पर मुझे मिले नोबेल

ट्रंप ने एक आदेश देकर सर्वोच्च ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी को ड्रोन हमले में मार गिराया था. अब ट्रंप ने इसे अपनी उपलब्धि बताते हुए खुद को नोबेल पुरस्कार देने की वकालत की है.

Updated on: 10 Jan 2020, 03:44 PM

highlights

  • ट्रंप ने नैंसी पेलोसी और एडम शिफ्स का मजाक उड़ाया.
  • अमेरिकी हितों के लिए लिया सुलेमानी को मारने का निर्णय.
  • इस कदम के लिए शांति के नोबेल पुरस्कार की वकालत भी की.

नई दिल्ली:

'राष्ट्रवाद' के नारे पर लोकसभा 2019 का चुनाव भारी बहुमत से जीतने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रणनीति को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगता है सिरे से आत्मसात कर लिया है. महाभियोग प्रस्ताव के आसन्न राजनीतिक चुनावी नफे-नुकसान के बीच ट्रंप ने एक आदेश देकर सर्वोच्च ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी को ड्रोन हमले में मार गिराया था. पेंटागन ने इसे 'अमेरिकी लोगों की सुरक्षा' के लिए उठाया गया कदम करार दिया. अब ट्रंप ने इसे अपनी उपलब्धि बताते हुए खुद को नोबेल पुरस्कार देने की वकालत की है. यह बात उन्होंने 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी के सिलसिले में टोलिडो में आयोजित पहली कैंपेन रैली में की.

यह भी पढ़ेंः मुसलमानों को कट्टर बनाने के लिए पीएफआई को मिल रही है विदेशी मदद, सीएए विरोधी हिंसक प्रदर्शनों में भी हाथ

अमेरिकी हित सर्वोच्च
ट्रंप ने हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी और हाउस इंटेलीजेंस कमेटी के प्रमुख एडम शिफ्स का मजाक भी उड़ाया. डेमोक्रेट सांसदों का कहना था कि ईरानी कमांडर को मार गिराने का आदेश देने से पहले राष्ट्रपति को कांग्रेस को भी विश्वास में लेना चाहिए थे. इस आरोप के जवाब में अमेरिकी राष्ट्रपित ने कहा कि उन्हें बता देता ताकि वे अपने भ्रष्ट मीडिया के मित्रों के साथ पहले ही खबर लीक कर देते. यही नहीं, उन्होंने कहा कि मेरे पास उन्हें फोन करने के लिए वक्त नहीं था. मुझे सूचना मिली, जो सटीक थी. अमेरिकी लोगों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए मैंने त्वरित निर्णय किया.

यह भी पढ़ेंः विमान गिराने के चौतरफा आरोपों के बाद ईरान ने कहा, खुफिया सूचनाएं साझा करें देश

नोबेल पुरस्कार के लिए की वकालत
इस अवसर पर ट्रंप ने अपनी पीड़ा को सार्वजनिक करने में भी देर नहीं लगाई. ट्रंप की यह पीड़ा खुद को नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित नहीं होने से जुड़ी है. उन्होंने इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबीय अहमद को नोबेल पुरस्कार दिए जाने का उल्लेख करते हुए कहा, 'मैंने एक निर्णय किया. मैंने अपने देश को बचाया और मुझे अभी-अभी समाचार मिला है कि फलां देश के सर्वोच्च नेता को अपने देश को बचाने के लिए शांति का नोबेल पुरस्कार दिया जा रहा है. मैंने कहा...क्या? कुछ-कुछ मैंने भी तो ऐसा ही किया है.'

यह भी पढ़ेंः ...जब भारतीय पर्यटक को थाईलैंड में हुई शर्मिंदगी, शशि थरूर बोले विदेश में खराब हो रहा देश का मान

दोबारा राष्ट्रपति बनने में ओहियो बड़ी चुनौती
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर हालिया सर्वेक्षण डोनाल्ड ट्रंप के लिए बड़ी चुनौती को रेखांकित करता है. हालांकि अभी डेमोक्रेट्स ने अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. फिर भी एपी-एनओआरसी के इस सर्वेक्षण में ट्रंप को दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए 40 फीसदी अमेरिकियों ने समर्थन दिया है. हालांकि सुलेमानी को मारने के बाद अभी कोई सर्वेक्षण नहीं हुआ है, लेकिन माना जा रहा है कि इस निर्णय से ट्रंप की छवि को फिलवक्त मजबूती मिली है. बताते हैं कि दोबारा राष्ट्रपति बनने के लिए ट्रंप को ओहियो से 18 इलेक्टोरल वोट अपने पाले में करने होंगे. 2016 में ट्रंप ने 8 प्वाइंट यहां से हासिल किए थे. यह इलाका पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का गढ़ माना जाता है.