यरुशलम पर अकेला पड़ा अमेरिका, ट्रंप के फैसले को खारिज करने के प्रस्ताव पर लगाना पड़ा वीटो
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रुप में मान्यता देने के फैसले को खारिज करने वाले संयुक्त राष्ट्र के मसौदे पर अमेरिका ने वीटो के ज़रिए रोक लगा दी है।
highlights
- यरुशलम विवाद पर अलग-थलग पड़ा अमेरिका
- ट्रंप के फैसले को निरस्त करने के प्रस्ताव पर लगाना पड़ा वीटो
- निक्की हेले बोलीं- कोई देश नहीं बता सकता कहां लगाएं दूतावास
नई दिल्ली:
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रुप में मान्यता देने के फैसले को खारिज करने वाले संयुक्त राष्ट्र के मसौदे पर अमेरिका ने वीटो के ज़रिए रोक लगा दी है। इस मसौदे का सभी 14 सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने समर्थन किया था।
इस वीटो का इस्तेमाल अमेरिकी राजदूत निक्की हेले ने किया। इस वीटो के बाद यरुशलम मुद्दे पर वाशिंगटन अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर अलग-थलग पड़ गया है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने फिलिस्तीन देश के रुख को अनदेखा करते हुए घोषणा की थी कि अमेरिका अपना दूतावास तेल अवीव से स्थानांतरित कर यरुशलम में स्थापित करेगा। फिलिस्तीन भी यरुशलम पर अपना अधिकार जताता है।
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मसौदे के समर्थन में 15 सदस्यीय काउंसिल में अमेरिका के महत्वपूर्ण 14 साझेदार देशों में ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जापान और यूक्रेन ने अमेरिका के फैसले को खारिज करते हुुए कहा कि यरूशलम की स्थिति पर हालिया फैसला 'कोई कानूनी प्रभाव वाला नहीं है, शून्य और शून्य हैं और इसे निरस्त किया जाना चाहिए।'
निक्की हेले ने वीटो के इस्तेमाल के बाद काउंसिल को बताया, 'अमेरिका को कोई देश नहीं बता सकता कि हम अपना दूतावास कहां रख सकते हैं।'
मिस्र ने मसौदे को आगे रखते हुए कहा था कि यरुशलम एक ऐसा मुद्दा है जो इजरायल और फिलीस्तीन के साथ बातचीत के ज़रिए सुलझाया जाना चाहिए। साथ ही ट्रंप के फैसले का ज़िक्र किए बगैर 'यरुशलम की स्थिति पर हालिया फैसले पर गहरी चिंता' जताई थी।
ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और रशिया के साथ अमेरिका समिति में मौजूद किसी भी मसौदे पर वीटो कर सकते हैं जिस पर सहमति के लिए 9 वोटों की ज़रुरत हो।
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बता दें कि 6 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सहमति के बिना, ट्रंप ने यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता दे दी थी और साथ ही तेल अवीव से अमेरिकी दूतावास यहां स्थानांतरित करने का भी ऐलान कर दिया था। इसके बाद विरोध प्रदर्शन और कड़ी निंदा का दौर शुरु हो गया था।
गौरतलब है कि इजरायल-फिलिस्तीन के बीच मतभेदों को सुलझाने के लिए अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस बुधवार को यरुशलम जाएंगे।
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