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भारत-चीन सीमा पर शांति बहाल करने को तैयार चीन: बीजिंग

चीन ने कहा कि वह भारत के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति की स्थिति बनाए रखने के लिए तैयार है।

Updated on: 09 Oct 2017, 08:21 PM

highlights

  • सीमावर्ती क्षेत्रों में भारत के साथ शांति चाहता है चीन
  • रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के 'नमस्ते' का दिखा असर

नई दिल्ली:

चीन ने कहा कि वह भारत के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति की स्थिति बनाए रखने के लिए तैयार है।

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के नाथू-ला दर्रे के दौरे के बाद चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'चीन-भारत सीमा का सिक्किम सेक्टर दोनों देशों के बीच 1890 के ऐतिहासिक समझौतों के जरिए सीमा के तौर पर चिन्हित है। नाथू-ला दर्रा इसका सबसे बड़ा गवाह है।'

इससे पहले चीन ने 1890 की ब्रिटेन-चीन समझौते का जिक्र करते हुए कहा था, 'चीन-भारत की सीमा का सिक्किम वाला भूभाग ऐतिहासिक रूप से सीमा के तौर पर चिह्नित है।'

चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, 'यह सच पर मुहर है। हम भारतीय पक्ष से तथ्यों का सम्मान करने की अपील करते हैं। साथ ही ऐतिहासिक सीमा समझौते के प्रावधानों का पालन करने की अपील करते हैं। सीमावर्ती इलाकों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए हम साथ मिलकर काम करने की अपील करते हैं।'

मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ ने कहा, 'चीन ऐतिहासिक समझौतों और प्रासंगिक संधियों के आधार पर सीमावर्ती क्षेत्रों में भारत के साथ मिलकर शांति और सहयोग की स्थिति कायम करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।'

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डोकलाम विवाद के दौरान चीन अक्सर 1890 की ब्रिटेन चीन संधि का जिक्र करता रहा है। चीन का कहना है कि सिक्किम के हिस्से वाला तिब्बत के साथ लगी सीमा से सटा है, इसलिए इस इलाके पर कोई विवाद नहीं है।

नाथू-ला दौरे के दौरान निर्मला सीतारमण के नमस्ते डिप्लोमेसी को चीन में दोनों देशों के बीच संबंधों के लिहाज से सकारात्मक कदम माना जा रहा है। रक्षा मंत्री ने अपने दौरे के दौरान चीनी सैनिकों को नमस्ते बोलना सिखाया था।

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डोकलाम विवाद के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी तनाव देखने को मिला था। इस दौरान दोनों देशों के सैनिक 78 दिनों तक एक दूसरे के आमने सामने खड़े रहे थे।

चीन डोकलाम इलाके में सड़क बनाना चाहता था जबकि भारत ऐसा करने से मना कर रहा था। जिसके बाद भारतीय जवानों ने अपना तंबू गाड़कर चीनी सैनिकों के इस मंशा को कामयाब नहीं होने दिया था।

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