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विदेश मंत्री महमूद कुरैशी के बयान पर पाकिस्तान का यू-़टर्न, कहा- मोदी ने नहीं दिया इमरान को बातचीत का न्योता

उन्होंने कहा कि कुरैशी ने यह जरूर कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने पत्र में वही बातें लिखी हैं जो वह पहले भी कहते रहे हैं।

Updated on: 21 Aug 2018, 08:22 AM

नई दिल्ली:

पाकिस्तान ने अपने नवनियुक्त विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के उस बयान से किनारा कर लिया है जिसमें कुरैशी ने दावा किया था कि भारत ने पाकिस्तान के साथ बातचीत का प्रस्ताव पेश किया है। इस्लामाबाद ने बायन पर सफाई देते हुए कहा कि भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने इस्लामाबाद को किसी प्रकार की बातचीत का न्योता नहीं दिया है। इस्लामाबाद के प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि कुरैशी ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है कि भारतीय प्रधानमंत्री ने बातचीत का प्रस्ताव दिया है।

उन्होंने कहा कि कुरैशी ने यह जरूर कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने पत्र में वही बातें लिखी हैं जो वह पहले भी कहते रहे हैं।

बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के नए पीएम इमरान खान बधाई पत्र भेजा था। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत से ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं मिला है।

प्रवक्ता ने कहा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अंत्येष्टि में शामिल होने गए पाकिस्तानी कानून मंत्री अली जफर की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बीच सकारात्मक माहौल में बातचीत हुई।

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प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान दोनों देशों के बीच सभी मसलों के हल के लिए बिना बाधा के बातचीत का पक्षधर है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरान खान को भेजे पत्र में कहा था कि भारत पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण पड़ोसी रिश्तों के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भारत पड़ोसी पाकिस्तान के साथ सकारात्मक और सार्थक साझेदारी के लिए आशान्वित है।

गौरतलब है कि इमरान खान को लिखे खत में मोदी ने आतंकवाद मुक्त दक्षिण एशिया के लिए काम करने की जरूरत पर जोर दिया। सूत्रों ने बताया कि इसमें प्रधानमंत्री ने किसी प्रकार का कोई प्रस्ताव नहीं रखा था।

आपको बता दें कि पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान ने राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में पड़ोसी देशों से रिश्ते सुधारने की बात कही है। रविवार शाम को उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान को अपने सभी पड़ोसियों के साथ 'बेहतरीन संबंध' रखने की दिशा में काम करना होगा क्योंकि इसके बिना देश में शांति लाना संभव नहीं होगा।

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देश के 22वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद राष्ट्र के नाम करीब एक घंटे लंबे भाषण में खान ने आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान की चुनौतियों को सामने रखा था।