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भारत ग्लोबल पावर बनने के रास्ते पर, एशिया में निभा सकता है महत्वपूर्ण भूमिका

ट्रंप प्रशासन के भारत को अग्रणी ग्लोबल पावर बताने के कुछ हफ्तों के बाद ही ओबामा प्रशासन में राजनयिक रहे एक अधिकारी ने अपनी किताब में कहा है कि पिछले 25 साल को देखा जाए तो ये देश ग्लोबल पावर बनने के रास्ते पर है।

Updated on: 05 Jan 2018, 12:18 AM

नई दिल्ली:

ट्रंप प्रशासन के भारत को अग्रणी ग्लोबल पावर बताने के कुछ हफ्तों के बाद ही ओबामा प्रशासन में राजनयिक रहे एक अधिकारी ने अपनी किताब में कहा है कि पिछले 25 साल को देखा जाए तो ये देश ग्लोबल पावर बनने के रास्ते पर है।

अमेरिकी विदेश विभाग में 2010 से 2013 के बीच दक्षिण एशिया मामलों की उप सचिव रहीं एलिसा एरिस ने कहा है, 'हम ताकत बनते देश के चार्ट को देख रहे हैं और जो किसी को हटा कर नहीं बल्कि विश्व के ताकतवर क्लब में शामिल किया जाना चाहता है, जो वो समझता है कि ये काफी समय से लंबित है।'

अभी वो एक थिंक टैंक काउंसिल ऑफ फॉरेन रिलेशंस में भारत, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया मामलों में सीनियर फेलो हैं। एरिस ने कहा कि पिछले 25 साल में भारत की आर्थिक बढ़त ने इसे विश्व के उभरती बड़ी शक्तियों में शामिल करते हैं।

जारी की गई अपनी किताब 'आवर टाइम हैज़ कम: हाऊ इंडिया इज़ मेकिंग इट्स प्लेस गल द वर्ल्ड' में एरिस ने जोर देते हुए कहा है कि उभरता हुआ भारत विश्व के शक्तिशाली देशों के टेबल पर साथ आना चाहता है। इसकी बड़ी सेना और उभरती आर्थिक व्यस्था से भारत अब रक्षा, व्यापार, जलवायु आदि पर अपनी शर्तों के साथ आना चाहता है।

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एरिस ने अपनी किताब में कहा है, 'पिछले 25 साल में देखा जाए तो भारत ग्लोबल पावर बनने के रास्ते पर है।'

उन्होंने कहा है कि भारत अमेरिका के साथ अपने संबंधों में जहां आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को मज़बूत करना चाह रहा है वहीं वो यूरोप और दूसरे एशियाई देशों की तरह गठबंधन से जुड़े वादों को नहीं ढोना चाहता है।

उन्होंने कहा कि इस गैरपरंपरागत संबंध को आकार देने के लिये ग्लोबल पावर्स को सुधार लाने की ज़रूरत है ताकि भारत के लिये जगह बनाई जा सके।

उन्होंने सुझाव दिया है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल किया जाना चाहिये। साथ ही दूसरे मंचो पर भी भारत को शामिल किया जाना चाहिये जो आर्थिक और रणनीतिक दृष्टि से प्रभावी होते हैं।

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उन्होंने कहा है कि भारत के साथ द्वपक्षीय संबंधों को मज़बूत किया जाना चाहिये। साथ ही मजबूत क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग भी बढ़ाई जा सके।

उन्होंने कहा, 'भारत एशिया की एक उभरती हुई ताकत है, इसे बहतर तरीके से समझे जाने की ज़रूरत है... ये एशिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।'

हालांकि उन्होंने भारत के सामने चुनौतियों के बारे में भी अपनी किताब में जिक्र किया है।

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