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म्यानमार दौरे पर पीएम मोदी, एमनेस्टी ने रोहिंग्या मुसलमानों की रक्षा की मांग की

संगठन ने पीएम मोदी से म्यांमार के नेतृत्व पर हिंसा प्रभावित रखाइन प्रांत के रोहिंग्या को सहायता पहुंचाने के लिए दबाव बनाने की मांग की है।

Updated on: 06 Sep 2017, 05:27 AM

नई दिल्ली:

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पीएम मोदी से रोहिंग्या मुसलमानों को सुरक्षा देने की मांग की है। ये मांग तब की गई है जब पीएम मोदी मंगलवार को ही 2 दिन की म्यानमार यात्रा पर पहुंचे हैं।

संगठन ने पीएम मोदी से म्यांमार के नेतृत्व पर हिंसा प्रभावित रखाइन प्रांत के रोहिंग्या को सहायता पहुंचाने के लिए दबाव बनाने की मांग की है।

बता दें कि एमनेस्टी इंटरनेशनल एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जो मानवाधिकार, मानवीय मूल्यों और मानवीय स्वतंत्रता को बचाने एवं भेदभाव मिटाने के लिए कार्य करती है।

मानवाधिकार ने यह भी कहा कि मोदी सरकार को रोहिंग्या शरणार्थियों की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता जतानी चाहिए न कि उनके प्रत्यर्पण की धमकी देनी चाहिए।

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक आकार पटेल ने कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी को म्यांमार के अधिकारियों पर दबाव बनाना चाहिए कि वे जरूरतमंद लोगों को सहायता पहुंचाएं। हताश लोगों को जीवन रक्षक सहयोग से इंकार करने को उचित नहीं ठहराया जा सकता।

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एमनेस्टी का आग्रह केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने भारत में आने वाले रोहिंग्या को अवैध प्रवासी बताते हुए प्रत्यर्प‍ित करने की बात कही है।

केंद्रीय राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने मंगलवार को कहा, 'रोहिंग्या अवैध आप्रवासी हैं और उनको उनके मुल्क भेजा जाएगा।'

उन्होंने काफी सख़्त लहज़े में कहा, 'भारत ने दुनिया में सबसे ज्यादा शरणार्थियों को जगह दी है। इसलिए कोई भारत को न सिखाए कि शरणार्थियों से किस तरह निपटा जाए।'

हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा राष्ट्र है, जहां लोकतांत्रिक परंपरा है।

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उन्होंने कहा, 'हम उन्हें समुद्र में फेंकने या गोली मारने नहीं जा रहे हैं। हम पर क्यों बहुत अमानवीय होने का आरोप लगाया जा रहा है।'

उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन गैरजरूरी रूप से केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं।

म्यांमार से जारी हिंसा की वजह से अब तक करीब 60,000 से अधिक रोहिंग्या देश छोड़कर बांग्लादेश जा चुके हैं। राखाइन प्रांत में जारी इस हिंसा में अब तक 400 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट देश में रह रहे रोहिंग्या मुस्लिम को देश से निकाल कर म्यांमार भेजने के फैसले के ख़िलाफ़ दायर की गई याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो चुका है।

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