हिंदू रीति-रिवाज से एक बार फिर से किया गया अम्मा का अंतिम संस्कार, ये बताई गई वजह..
एक बार फिर से तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता को दफनाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
तमिलनाडु:
एक बार फिर से तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता को दफनाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। एक अखबार के अनुसार श्रीरंगापट्टनम में जयललिता का दोबारा अंतिम संस्कार किया गया।
इस बार दाह संस्कार उनके अयंगकर समुदाय के रीति-रिवाज से किया गया। जानकारी के मुताबिक जयललिता को 'मोक्ष' की प्राप्ति हो सके, इसके लिए उनके रिश्तेदारों ने मंगलवार को उनका अंतिम संस्कार कराया।
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तमिलनाडु के श्रीरंगापट्टनम स्थित कावेरी तट पर एक बार फिर जयललिता का अंतिम संस्कार किया गया। खबर के अनुसार जया के शव की जगह एक गुड़िया को उनकी प्रतिकृति मानते हुए रखा गया।
उस गुड़िया पर अयंगरकर समुदाय के अनुसार दाह संस्कार की रस्में पूरी करवाई गईं। रिश्तेदारों का मानना था कि जयललिता को दफनाया गया, न कि उनका दाह संस्कार किया गया, इसिलए 'मोक्ष' की प्राप्ति के लिए उनका दाह संस्कार किया गया।
खबर के अनुसार आचार्य रंगनाथ दाह संस्कार की रस्में पूरी करवाईं। उन्होंने बताया, 'इस संस्कार से जया को 'मोक्ष' की प्राप्ति होगी। संस्कार से जुड़े कुछ और कर्मों को अगले पांच दिन में पूरा किया जाएगा।'
यह भी पढ़ें- जयललिता का अंतिम संस्कार संपन्न, एमजीआर की समाधि के बगल दफनाया गया
अपने समर्थकों के बीच 'अम्मा' के नाम से मशहूर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता का 5 दिसंबर की रात 11.30 बजे निधन हो गया था। जयललिता का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। उन्हें उनके गुरु और गाइड एमजी रामचंद्रन की समाधि के बगल में दफनाया गया है।
जयललिता के करीबी लोगों के मुताबिक, 'अम्मा' किसी जाति और धार्मिक पहचान से परे थीं, इसलिए उन्हें पेरियार, अन्ना दुरई और एमजीआर जैसे ज्यादातर बड़े द्रविड़ नेताओं की तरह उनके पार्थिव शरीर को भी दफन करने का फैसला किया गया था।
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