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अखिलेश और मुलायम के बीच साइकिल पर जंग का फैसला सोमवार को, सुनवाई के बाद चुनाव आयोग ने सुरक्षित रखा फैसला

रामगोपाल के नेतृत्व में बुलाए गए पार्टी अधिवेशन में मुलायम को पार्टी के नैशनल प्रेसिडेंट के पद से हटाकर मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया गया था वहीं अखिलेश को पार्टी का नैशनल प्रेसिडेंट बना दिया गया था।

Updated on: 14 Jan 2017, 09:04 AM

नई दिल्ली:

चुनाव आयोग ने शुक्रवार को अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के बीच चुनाव चिन्ह 'साइकिल' पर मचे घमासान पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। उम्मीद जताई जा रही है कि वह अपना निर्णय सोमवार को सुनाएगा।

समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव की वकील गौरी नौलांकर ने आयोग में सुनवाई के बाद आईएएनएस से कहा, 'आयोग ने अपना फैसला आज (शुक्रवार को) सुरक्षित रख लिया। वह पार्टी के चुनाव चिन्ह के बारे में सोमवार को निर्णय सुनाएगा।'

उन्होंने कहा, 'आयोग ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।'

शुक्रवार को हुई सुनवाई की संक्षिप्त जानकारी देते हुए अधिवक्ता गौरी ने कहा, 'मुलायम जी ने कहा कि शुरुआत से ही वह पार्टी के वैधानिक अध्यक्ष हैं, इसलिए कोई भी व्यक्ति अवैधानिक रूप से सम्मेलन बुलाकर उन्हें उनके पद से नहीं हटा सकता है।'

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गौरी के अनुसार, मुलायम ने आयोग से कहा कि पार्टी के संविधान के मुताबिक वह उसके पदस्थ अध्यक्ष हैं।

अधिवक्ता ने कहा कि मुलायम के पुत्र और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी से कहा कि यह अखिलेश की पार्टी की है।

आयोग में सुनवाई के बाद सिब्बल ने भी संवाददाताओं से कहा कि आयोग ने दोनों गुटों की बातें सुनीं और किसी एक पक्ष को चुनाव चिन्ह देने को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया।

उधर, मुख्यमंत्री के वकील सुमन राघव ने आईएएनएस से कहा, 'मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी के समक्ष हमारे अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने हमारा पक्ष प्रस्तुत किया है। उन्होंने आयोग को सूचित किया कि पार्टी के अधिकांश सांसद और विधायक अखिलेश के साथ हैं, इसलिए साइकिल चुनाव चिन्ह हमलोगों को मिलना चाहिए।'

राघव ने कहा, 'हम आश्वस्त हैं कि निर्णय हमारे पक्ष में होगा।' सुनवाई के लिए हालांकि मुख्यमंत्री यहां नहीं आए थे, लेकिन उनके सिपहसलार रामगोपाल यादव, नरेश अग्रवाल, किरणमय नंदा और नीरज शेखर उपस्थित थे।

मुलायम के साथ उनके भाई शिवपाल यादव, आशु मलिक और संजय सेठ थे। निर्वाचन आयोग में शुक्रवार को सुनवाई करीब चार घंटे तक चली।

बता दें कि रामगोपाल के नेतृत्व में बुलाए गए पार्टी अधिवेशन में मुलायम को पार्टी के नैशनल प्रेसिडेंट के पद से हटाकर मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया गया था वहीं अखिलेश को पार्टी का नैशनल प्रेसिडेंट बना दिया गया था। इसके साथ ही सपा उत्तर प्रदेश के प्रेसिडेंट पद से शिवपाल यादव को बर्खास्त कर दिया गया था। साथ ही अखिलेश ने अमर सिंह को भी पार्टी से निष्कासित कर दिया था।

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इसके बाद सपा दो फाड़ हो गई थी और फिर मुलायम-शिवपाल और अखिलेश-रामगोपाल खेमे ने चुनाव आयोग में साइकिल चुनाव चिह्न को लेकर दावेदारी पेश की थी। इस बीच पार्टी के नैशनल प्रेसिडेंट के पद से हटाए जाने के बाद मुलायम ने अपने पक्ष में बहुमत जुटाने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई। वहीं अखिलेश को करीब 200 से अधिक विधायकों का समर्थन मिला।

(IANS इनपुट के साथ)