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नोटबंदी के बाद रेल टिकट के लिए 'कैशलेस ट्रांजेक्शन' का बढ़ा चलन, 1 जनवरी को रेलवे की 51 फीसदी कमाई कैशलेस के ज़रिए हुई

अनरिजर्व्ड टिकट्स के लिए भी कैशलेस ट्रांसेक्शन्स दिसंबर के अंत तक बढ़कर 7.9 प्रतिशत रहा जो कि नोटबंदी की घोषणा से पहले कुल 1 प्रतिशत ही था।

Updated on: 03 Jan 2017, 08:50 AM

नई दिल्ली:

नए साल के मौके पर यानि 1 जनवरी को भारतीय रेलवे के रिजर्व्ड टिकट्स की कुल बिक्री का आधा प्रतिशत राजस्व सिर्फ कैशलेस ट्रांसेक्शन के ज़रिए ही आया है। रेलवे के एक अधिकारी मोहम्मद जमशेद ने जानकारी दी कि, '1 जनवरी को रेलवे के टिकट्स की कुल आय में से 51 प्रतिशत आय कैशलेस लेनदेन के ज़रिए हुई थी जो कि रेलवे के लिए एक रिकॉर्ड है।'

अंग्रेजी अखबार 'दि हिंदू' के मुताबिक 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा से पहले रेलवे की वेबसाइट रेल कैटरिंग एंड टूरिज़्म कॉरपोरेशन की और प्लास्टिक कार्ड्स के ज़रिए का 38 प्रतिशत राजस्व ही कैशलेस ट्रांसेक्शन्स के ज़रिए आता था।

8 नंवबर को रेलवे को कैशलेस ट्रांसेक्शन्स के ज़रिए 40 करोड़ रुपये की आय हुई थी जबकि 1 जनवरी को आय बढ़कर 69 करोड़ रुपये हो गई थी। 1 जनवरी को रेलवे की कुल आय 133 करोड़ रुपये हुई थी जिसमें से 69 करोड़ रुपये सिर्फ कैशलेस ट्रांसेक्शन के ज़रिए ही आए थे।

उन्होंने कहा कि, 'नोटबंदी के बाद बड़ी संख्या में लोग ई-टिकटिंग की ओर मुड़े हैं। 29 दिसंबर को ई-टिकटिंग के ज़रिए 73 करोड़ रुपये की बुकिंग हुई थी जबकि कैश के ज़रिए टिकट काउंटर से सिर्फ 34 करोड़ रुपये की ही बुकिंग हुई थी। करीब 67 प्रतिशत यात्री अब ऑनलाइन टिकट बुकिंग कर रहे हैं, पहले यह आंकड़ा 58 प्रतिशत था।'

अनरिजर्व्ड टिकट्स के लिए भी कैशलेस ट्रांसेक्शन्स दिसंबर के अंत तक बढ़कर 7.9 प्रतिशत रहा जो कि नोटबंदी की घोषणा से पहले कुल 1 प्रतिशत ही था।

सरकार ने 1 जनवरी तक देश के 13,000 रेलवे काउंटर्स पर 2,000 कार्ड स्वाइपिंग मशीन लगाई हैं। जल्द ही सरकार इंटीग्रेटेड मोबाइल एप्लीकेशन भी लॉन्च करने जा रही है। इस ऐप्प में यात्रियों को करीब 3 दर्जन भुगतान के तरीके मिलेंगे।