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डिजिटल बैंकिंग और कैशलेस इकॉनमी से घट जाएगा एटीएम कारोबार

सरकार जहाँ कैशलेस अर्थव्यवस्था को लेकर प्रतिबद्ध नज़र आ रही है, वहीँ एटीएम कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि इससे उनका कारोबार प्रभावित होगा।

Updated on: 04 Dec 2016, 04:21 PM

नई दिल्ली:

सरकार जहाँ कैशलेस अर्थव्यवस्था को लेकर प्रतिबद्ध नज़र आ रही है, वहीँ एटीएम कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि इससे उनका कारोबार प्रभावित होगा। एटीएम के प्रत्येक लेन-देन पर ऑपरेटरों को भुगतान किया जाता है।

फाइनेंसियल सॉफ्टवेयर एंड सिस्टम्स के अध्यक्ष वी. बालासुब्रमण्यम का कहना है, "अगले कुछ सालों में एटीएम की मांग निश्चित तौर पर घटेगी और बदले हालात में दो साल बाद उनकी वृद्धि दर का अनुमान लगाना नामुमकिन है।"

वहीं दूसरी तरफ बीटीआई पेमेंट प्रा. लि. के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के. श्रीनिवास का कहना है कि एटीएम की मांग बढ़ेगी। वे कहते हैं, "अमेरिका में 32 करोड़ की आबादी पर 4,32,000 एटीएम है। लेकिन भारत में चार गुणा अधिक आबादी के बावजूद 2,20,000 एटीएम है। विकसित देशों में भी कैशलेस व्यवस्था के बावजूद नकद लेन-देन होते हैं।"

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भारतीय स्टेट बैंक समूह की मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्या कांति घोष की रिपोर्ट में कहा गया है कि 5 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी प्रसार में है, जिसकी 'जरूरत नहीं है', इसलिए डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना चाहिए।

रिपोर्ट में कहा गया, "वर्तमान में डिजिटल बैंकिंग करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये का है। इसे 3 लाख करोड़ बनाने तथा मोबाइल बैंकिंग को 10,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये प्रति व्यक्ति-प्रति माह करने की जरूरत है। साथ ही मोबाइल वॉलेट लेन-देन को 32 अरब से बढ़ाकर 100 अरब करने की जरूरत है।"

इस रिपोर्ट में सरकार को डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए आयकर की धारा 80 सी के तहत छूट देने, सरकारी सेवाओं का भुगतान पीओएस मशीन से अनिवार्य करने, नकद लेन-देन के लिए पैन कार्ड का विवरण अनिवार्य करने की सलाह दी गई है।