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जयललिता का निधन, तमिलनाडु में 7 दिनों का राजकीय शोक

अपने समर्थकों के बीच 'अम्मा' के नाम से मशहूर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता अब हमारे बीच नहीं रहीं। उन्होंने सोमवार को अंतिम सांस ली।

Updated on: 06 Dec 2016, 05:18 AM

highlights

  • 68 वर्षीय जयललिता का निधन, अपोलो अस्पताल में 22 सितंबर से थीं भर्ती
  • तमिलनाडु में 7 दिनों का राजकीय शोक, पार्थिव शरीर को राजाजी हॉल में रखा गया
  • राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष ने जताया दुख

नई दिल्ली:

अपने समर्थकों के बीच 'अम्मा' के नाम से मशहूर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता का सोमवार की रात 11.30 बजे निधन हो गया। 68 वर्षीय जयललिता को रविवार शाम दिल का दौरा पड़ा था। जयललिता पिछले ढाई महीने से अपोलो अस्पताल में भर्ती थीं। अपोलो अस्पताल ने देर रात करीब 12:15 बजे बयान जारी कर जयललिता के निधन की पुष्टि की है।

जयललिता के निधन पर समर्थकों में शोक की नहर है। तमिलनाडु में लोगों को रोते हुए देखा जा रहा है। राज्य में 7 दिनों का राजकीय शोक घोषित किया गया है।

चेन्नई स्थित पोएस गार्डन में जयललिता का पार्थिव शरीर को लाया गया। इस दौरान जयललिता के आवास के बाहर भारी भीड़ थी। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया।

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जयललिता की मौत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताया है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी जयललिता की मृत्यु पर शोक संवेदना जाहिर किया है।

தைரியம் மற்றும் பெருந்தன்மை உடன், இந்த பெரிய இழப்பை எதிர்கொள்ள தமிழக மக்களுக்கும், அதிமுக தொன்டர்களுக்கும் வேண்டுகிறேன் (3/3)

— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) December 5, 2016

जयललिता का जन्म एक तमिल परिवार में 24 फरवरी 1948 को हुआ था। महज 2 साल की उम्र में उनके पिता की मौत हो गई थी। पिता की मौत के बाद जयललिता की मां उन्हें बेंगलुरु लेकर चली आईं, जहां उन्होंने 15 साल की उम्र में कन्नड़ तमिल सिनेमा में काम करना शुरू किया।

जयललिता ने अभिनेता शिवाजी गणेशन के साथ फिल्में करके खूब ख्याति बटोरी। उन्होंने हिन्दी फिल्मों में अभिनेता धर्मेंद्र के साथ काम किया। उनकी अंतिम फिल्म 1980 में रिलीज की गई थी।

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1980 में उन्होंने सिल्वर स्क्रीन को अलविदा कहकर राजनीति का दामन थामा। दक्षिण भारत के मशहूर अभिनेता और नेता एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) ने उनकी राजनीति में एंट्री करवाई। रामचंद्रन की मौत के बाद जयललिता ने उनकी विरासत को संभाला।

तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि की पार्टी डीएमके से अलग होकर एमजीआर ने एआईएडीएमके का गठन किया था। 1983 में जयललिता को एआईएडीएमके का सचिव नियुक्त किया और वह राज्यसभा पहुंचीं। वह 1989 में एआईएडीएमके की महासचिव बनीं।

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1991 में जयललिता पहली बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं, हालांकि 1996 के चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। 2001 में जयललिता फिर एक बार मुख्यमंत्री बनीं।

भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त होने के बाद कोर्ट से सजा होने के बावजूद जयललिता अपनी पार्टी को चुनावों में जिताने में कामयाब रहीं। उन्होंने गैर चुने हुए मुख्यमंत्री के तौर पर कुर्सी संभाली। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को अवैध घोषित कर दिया। उसके बाद उन्होंने अपने करीबी ओ. पन्नीरसेल्वम को कुर्सी सौंपी।

वह 2002 में फिर से मुख्यमंत्री बनी। इसके बाद जयललिता 2011 में भी मुख्‍यमंत्री बनीं। तब से वह तमिलनाडु की सीएम थीं। भ्रष्टाचार के मामले में सजा होने के बाद कुछ दिनों के लिए वह पद से हटीं थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद वह फिर से सीएम बनीं। गरीबों के लिए योजनाएं शुरू करके वह आम लोगों में काफी पॉपुलर थीं।