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एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक बैंकों का कर्ज और दिवालियापन किसानों की आत्महत्या का प्रमुख कारण रहा

भारत में किसानी की समस्या और उनकी आत्महत्या के लिए सूदखोरों को जिम्मेदार माना जाता रहा है। लेकिन सरकारी आंकड़ों के मुताबिक किसानों की आत्महत्या के लिए बैंकों या फिर माइक्रो फाइनेंस से लिए गए कर्ज या फिर दिवालिया होना जिम्मेदार रहा।

Updated on: 07 Jan 2017, 11:59 AM

highlights

  • भारत में किसानों की समस्या और उनकी आत्महत्या के लिए सूदखोरों को जिम्मेदार माना जाता रहा है
  • आत्महत्या के लिए बैंकों या फिर माइक्रो फाइनेंस से लिए गए कर्ज या फिर दिवालिया होना जिम्मेदार रहा

नई दिल्ली:

भारत में किसानी की समस्या और उनकी आत्महत्या के लिए सूदखोरों को जिम्मेदार माना जाता रहा है। लेकिन सरकारी आंकड़ों के मुताबिक किसानों की आत्महत्या के लिए बैंकों या फिर माइक्रो फाइनेंस से लिए गए कर्ज या फिर दिवालिया होना जिम्मेदार रहा।

2015 में किसानों की आत्महत्या में 42 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। नैशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2015 में देश भर में 3000 से अधिक किसानों ने कर्ज और दिवालियापन की वजह से आत्महत्या की। आत्मह्त्या करने वाले 3,000 किसानों में से 2,474 किसानों ने बैंकों का माइक्रोफाइनेंस की संस्थाओं से कर्ज ले रखा था।

ऐसा पहली बार है जब एनसीआरबी ने किसानों की आत्महत्या के लिए कर्ज या दिवालियापन को जिम्मेदार कारण माना है। 2015 में 2014 के मुकाबले किसानों की आत्महत्या के मामले में 41.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

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एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2014 में कुल 5,650 किसानों ने आत्महत्या की थी जो 2015 में बढ़कर 8,007 हो गई। आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा 3,030 किसानों ने आत्महत्या की।

दूसरे नंबर पर तेलंगाना रहा, जहां 1,258 किसानों ने आत्महत्या की। तीसरे नंबर पर कर्नाटक है जहां 1,197 किसानों ने खुदकुशी की वहीं छत्तीसगढ़ में 854 जबकि मध्य प्रदेश में 516 किसानों ने आत्महत्या की।

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