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मनोज सिन्हा बनेंगे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री या बीजेपी दिल्ली से भेजेगी कोई नया चेहरा?

चुनाव से पहले वाराणसी में रैली के दौरान मोदी ने मनोज सिन्हा की तारीफ भी की थी। सिन्हा भले ही ऊंची माने जाने वाली भूमिहार जाति से आते हैं, लेकिन यूपी में इस जाति का बहुत बोलबाला नहीं है।

Updated on: 17 Mar 2017, 11:10 AM

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला है लेकिन अब पार्टी के सामने सीएम पद का नाम चुनने की चुनौती है। 18 मार्च को बीजेपी के विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कोई फैसला आ सकता है। लेकिन इससे पहले ही कई नामों को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं।

कौन होगा सीएम

अमित शाह के गुरुवार के एक बयान ने कयासों का बाजार एक बार फिर गर्म कर दिया। अमित शाह ने कहा कि पार्टी राज्य इकाई के अध्यक्ष के चुनाव को तरजीह देगी। अब इसका मतलब यह निकाला जाने लगा है केशव प्रसाद मौर्य मुख्यमंत्री की रेस से बाहर हो गए हैं और अमित शाह का बयान इसी का संकेत है।

सूत्रों के मुताबिक राजनाथ सिंह ने भी उत्तर प्रदेश लौटने से मना कर दिया है। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं, देश के सबसे बड़े सूबे का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। वह सीएम, क्या चुने गए 324 विधायकों में से होगा या फिर किसी नए चेहरे को दिल्ली से भेजा जाएगा।

इन सबके बीच मनोज सिन्हा का नाम सबसे तेजी से उभर कर सामने आ रहा है। सूत्रों के मुताबिक 18 तारीख को शाम 5 बजे विधायक दल की बैठक के बाद मनोज सिन्हा के नाम ऐलान हो सकता हैं। संसदीय दल की बैठक के बाद गुरुवार को अमित शाह ने दिल्ली में कई दौर की बैठक की जिसमे राजनाथ सिंह के मना करने के बाद मनोज सिन्हा का नाम तेजी से सबसे ऊपर आया है। इसके अलावा योगी आदित्यनाथ, दिनेश शर्मा भी कुछ ऐसे नाम हैं जिन्हें लेकर सियासी हलकों में चर्चा तेज है।

कौन हैं मनोज सिन्हा

आआईटी-बीएचयू से सिविल इंजीनियरिंग कर चुके मनोज सिन्हा गाजीपुर से सांसद हैं। वह 2014 में तीसरी बार सांसद बने हैं। हिंदी पट्टी से उनका जुड़ाव और लो-प्रोफाइल में रहने के कारण उनकी छवि दूसरे समकक्ष नेताओं से अलग है।

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चुनाव से पहले वाराणसी में रैली के दौरान मोदी ने मनोज सिन्हा की तारीफ भी की थी। सिन्हा भले ही ऊंची माने जाने वाली भूमिहार जाति से आते हैं, लेकिन यूपी में इस जाति का बहुत बोलबाला नहीं है। इस लिहाज से बीजेपी मनोज सिन्हा को चेहरा बनाकर खुद को जातिगत समीकरणों से ऊपर रखने का दावा कर सकती है।

योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य

केशव पिछड़ी जाति से आते हैं। यह अब बीजेपी का वोट बैंक बनता जा रहा है। इसके अलावा सतीश महाना, सुरेश खन्ना जैसे पुराने विधायकों के नाम भी हवा में हैं। रेस में योगी भी हैं लेकिन उनकी कट्टर छवि और जुड़े विवाद उनका पत्ता काट सकते हैं।

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