एक जगह ऐसी भी जहां रंग-गुलाल की जगह चिताओं के राख से लोग खेलते हैं होली
देश इन दिनों होली के रंग में रंगा हुआ है लेकिन काशी विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में एग जगह ऐसी भी हैं जहां रंगों से नहीं चिता की राख के साथ होली खेली जाती हैं.
नई दिल्ली:
देश इन दिनों होली के रंग में रंगा हुआ है लेकिन काशी विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में एग जगह ऐसी भी हैं जहां रंगों से नहीं चिता की राख के साथ होली खेली जाती हैं. पूरी दुनिया में सिर्फ काशई में ही इस तरह चिता की राख से होली खेली जाती है. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि मान्यता है की भगवान शंकर चिता भस्म की होली महशमसान में खेलते हैं इसलिए काशी के साधु-संत और आम जनता भी महाश्मशान में चिता भस्म की होली खेलती है. वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर चिता भस्म की यह होली बेहद अनूठे तरीके से खेली जाती है.
वाराणसी का मर्णिकर्णिका घाट जहां कभी चिता की आग शांत नहीं होती हैं लेकिन साल में कुछ ऐसा भी दिन आता हैं जब काशी के लोग यहाँ आकर इन चिताओं की राख से होली खेलते हैं वो दिन होती हैं होली. काशी में भगवान बोले शंकर के भक्त जिन्हें शिव गण भी कहा जाता है वो राख के साथ होली खेलते हैं. रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन ये यहां आकर बाबा मशान नाथ की आरती कर चिता से राख की होली शुरू करते हैं और ढोल-डमरू के साथ पूरा शमशान हर हर महादेव के उद्घोष से गुंजायमान हो जाता है.
एकादशी के साथ ही यहां होली की शुरुआत बाबा विश्वनाथ के दरबार से हो जाती है जब माता पार्वती को गौना कराकर लौटते हैं ,लेकिन उसके अगले ही दिन बाबा विश्वनाथ काशी में अपने चहेतों जिन्हें शिवगण भी कहा जाता है और अपने चेलों भूत-प्रेत के साथ होली खेलते हैं.
यहां की होली कुछ मायने में बेहद खास होती है क्योंकि ये होली केवल चीता भस्म से खेली जाती है. चूंकि बाघम्भर शिव को भस्मअति प्रिय है और हमेशा शरीर में भस्म रमाये समाधिस्थ रहने वाले शिव की नगरी काशी में श्मशान घाट पर चीता भस्म से होली खेली जाती है और मान्यता है की ये सदियों पुराणी प्रथा काशी में चली आ रही है. ये होली काशी में मसाने की होली के नाम से जानी जाती है.
मसान में इस होली में रंग की जगह राख होती हैं और इस होली के खेलने वाले शिव गण जिन्हे ऐसा प्रतीत होता हैं की भगवान शिव उनके साथ होली खेलते हैं. इस राख से तारक मंत्र प्रदान करते हैं. आम जनता भी चिता भस्म की होली के उत्सव में डूबी नजर आती है. खासबात यह है कि इस बार भारी संख्या में लड़किया भी चिता की राख से होली खेलने पहुंची. उनका मानना था की यहां का अनुभव निराला है जब आप बाबा के साथ होली खेलते है.
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