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उत्तराखंड : फिर बदल सकती है PCS-Pre Cut Off, भर्तियों की प्रक्रिया जल्द

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सिविल सेवा परीक्षा में राज्य की मूल निवासी महिलाओं को 30 फीसदी आरक्षण देने वाले वर्ष 2006 के शासकीय आदेश (जीओ) पर उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक शुक्रवार को हटा दी. महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के स्टे मिलने के बाद उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की पीसीएस-प्री की कटऑफ में एक बार फिर से बदलाव किया जा सकता है.

Updated on: 06 Nov 2022, 11:44 PM

देहरादून:

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सिविल सेवा परीक्षा में राज्य की मूल निवासी महिलाओं को 30 फीसदी आरक्षण देने वाले वर्ष 2006 के शासकीय आदेश (जीओ) पर उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक शुक्रवार को हटा दी. महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के स्टे मिलने के बाद उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की पीसीएस-प्री की कटऑफ में एक बार फिर से बदलाव किया जा सकता है.

आयोग ने 19 अक्टूबर को उत्तराखंड महिला आरक्षण हटाने के बाद फिर कटऑफ बदल दी थी. इसके बाद 1708 अभ्यर्थियों को पीसीएस मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया गया था. 22 सितंबर को बदली गई थी कटऑफ 30 मई को लिपिकीय त्रुटि के कारण, एक अगस्त और 22 सितंबर को हाईकोर्ट के आदेश पर कटऑफ बदली गई थी. इस संबंध में आयोग के अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में कमीशन निर्णय लेगा. पीसीएस परीक्षा में भी मिलेगा लाभ महिला आरक्षण पर हाईकोर्ट की रोक के बाद आयोग की पीसीएस परीक्षा का टाइम टेबल ही गड़बड़ा गया. अब यह परीक्षा 28 से 31 जनवरी तक होगी. अब फिर आयोग विज्ञप्ति संशोधित कर पूर्व की भांति उत्तराखंड की महिला कर सकता है.

हाईकोर्ट के आदेश पर एससी का स्टे सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सिविल सेवा परीक्षा में राज्य की मूल निवासी महिलाओं को 30 फीसदी आरक्षण देने वाले वर्ष 2006 के शासकीय आदेश (जीओ) पर उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक शुक्रवार को हटा दी. इससे राज्य की मूल निवासी महिलाओं को मिलने वाले आरक्षण का रास्ता साफ हो गया. मामले में जस्टिस एसए. नजीर और वी. रामासुब्रमण्यन की खंडपीठ ने सुनवाई की. खंडपीठ ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए इस मामले में याचिकाकतार्ओं को नोटिस जारी किया और जवाब मांगा.

आयोग में भर्तियों की प्रक्रिया जल्द होंगी शुरू, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तैयारी में :

उत्तराखंड सरकार महिला आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उत्तराखंड लोकसेवा आयोग के प्रस्तावित परीक्षाओं की प्रक्रिया जल्द शुरू हो सकेंगी. अभी आयोग 30 फीसदी महिला आरक्षण पर पेच फंसने से असमंजस स्थिति से जूझ रहा था. यूकेएसएसएससी की 23 परीक्षाएं कराने का जिम्मा भी लोक सेवा आयोग को मिलने से उस पर दबाव बढ़ गया था.

इस बीच हाईकोर्ट के आदेश के बाद स्थानीय महिलाओं को 30 फीसदी आरक्षण का लाभ पर रोक के बाद नई भर्तियों की रफ्तार थम गई. हालांकि, आयोग ने सहायक लेखाकार के 661, फारेस्ट गार्ड के 894 राजस्व उप निरीक्षक के 563 और पुलिस कांस्टेबल के 1521 पदों के लिए विज्ञप्ति भी जारी कर दी थी.

लोकसेवा आयोग के सचिव गिरधारी रावत ने कहा कि हालांकि, समूह ग की परीक्षाओं में स्थानीय अभ्यर्थियों को भर्ती का लाभ मिलता है, लेकिन इसके बावजूद संशय की स्थिति बनी थी. वैसे यदि बाहरी राज्यों के किसी अभ्यर्थी ने उत्तराखंड से हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की है तो वह भी समूह ग की परीक्षाओं के लिए अर्ह माना जाता है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए शनिवार को कार्मिक विभाग और आयोग के अफसरों के साथ बैठक करेंगे. इसमें भर्ती प्रक्रिया को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आयोग की परीक्षाओं में अब स्वाभाविक रूप से तेजी आएगी.

आयोग ने 30 परीक्षाओं के भर्ती प्रस्ताव वापस शासन को भेज कर महिला और दिव्यांग आरक्षण पर को लेकर परामर्श मांगा था. ये भर्ती प्रस्ताव भी अब जल्द आयोग को मिल जाएंगे. तीन परीक्षाएं जो पूर्व में हो चुकी थीं, उनका रिजल्ट भी जल्द घोषित हो सकेगा.