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पिथौरागढ़ विधानसभा उपचुनाव: जानें चुनावी गणित, कौन हो सकता है प्रत्याशी

पिथौरागढ़ विधानसभा उपचुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है. भाजपा जहां सीट को रिकॉर्ड मतों से जीतना चाहती है वहीं कांग्रेस के लिए जीत 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले किसी संजीवनी से कम नहीं होगी .

Updated on: 30 Oct 2019, 05:35 PM

देहरादून:

पिथौरागढ़ विधानसभा उपचुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है. भाजपा जहां सीट को रिकॉर्ड मतों से जीतना चाहती है वहीं कांग्रेस के लिए जीत 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले किसी संजीवनी से कम नहीं होगी . इस खबर में हम आपको बता रहे हैं कि पिथौरागढ़ विधानसभा उपचुनाव को लेकर आखिर क्यों कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी के चयन में देरी हो रही है. 

उत्तराखंड के कद्दावर नेता सरकार में वित्त मंत्री स्वर्गीय प्रकाश पंत के निधन के बाद पिथौरागढ़ विधानसभा सीट खाली हो चुकी है. जिसकी चुनाव प्रक्रिया के लिए निर्वाचन विभाग द्वारा चुनाव कार्यक्रम घोषित किया है. 25 नवंबर को पिथौरागढ़ विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान प्रक्रिया और 28 नवंबर को मतगणना संपन्न की जाएगी. 6 नवंबर विधानसभा उपचुनाव के नामांकन की अंतिम तिथि तय की गई है. ऐसे में प्रत्याशी के चयन को लेकर भाजपा भी पशोपेश में है. भाजपा संगठन स्वर्गीय प्रकाश पंत की पत्नी चंद्र पंत को विधानसभा प्रत्याशी घोषित करना चाहता है. लेकिन चंद्रा पंत चुनाव लड़ने के लिए मना कर चुकी हैं.

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स्वर्गीय प्रकाश पंत की पत्नी प्रकाश पंत के छोटे भाई भूपेश पंत को विधानसभा टिकट दिए जाने की वकालत कर रही हैं. पार्टी के कई नेता भूपेश पंथ को ही प्रत्याशी बनाने के समर्थन में नजर आ रहे हैं. लेकिन पिथौरागढ़ स्थानीय भाजपा संगठन में कुछ ऐसे भी नेता हैं जो भूपेश पंत के बजाय स्वर्गीय प्रकाश पंत की पत्नी चंद्रा पंत को ही प्रत्याशी बनाने की वकालत कर रहे हैं.

भाजपा संगठन के कई नेताओं का मानना है कि स्वर्गीय प्रकाश पंत की पत्नी को अगर टिकट दिया जाता है तो भाजपा को रिकॉर्ड मतों से जीत प्राप्त होगी. भाजपा संगठन ने पिथौरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में प्रत्याशी के चयन के लिए राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार रेखा आर्य और भाजपा प्रदेश महामंत्री राजू भंडारी को लेकर 2 सदस्य कमेटी का गठन किया है.

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जो प्रत्याशी चयन के लिए पिथौरागढ़ में नेताओं से वार्ता करेगी. भाजपा नेताओं का कहना है कि भाजपा इस सीट को रिकॉर्ड मतों से जीते कि इसमें कोई संशय नहीं है. पिथौरागढ़ विधानसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस की दिक्कतें भी कम नहीं हैं. पिथौरागढ़ में कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व विधायक मयूख महर चुनाव लड़ने से मना कर चुके हैं. मयूख महर पिथौरागढ़ सीट में कांग्रेस के सबसे मजबूत प्रत्याशी हो सकते हैं लेकिन उनके चुनाव लड़ने से मना करने को लेकर कांग्रेस पार्टी भी सकते में है. पिछले विधानसभा चुनाव में भी मयूख महर बहुत कम अंतर से विधानसभा चुनाव हारे थे.

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ऐसे में अगर कांग्रेस की ओर से मयूख महर को प्रत्याशी बनाया जाता है और वह चुनाव लड़ते हैं तो भाजपा की राह मुश्किल भी हो सकती है. मयूख महर के चुनाव लड़ने को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि उन्होंने मयूख महर से भी इस मामले में बात की है और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से इस मामले में वार्ता करके मयूख महर को चुनाव लड़ने के लिए तैयार करने को भी कहा है. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि मयूख महर पिथौरागढ़ की जनता के हितों को देखते हुए चुनाव मैदान में उतरेंगे.

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पिथौरागढ़ विधानसभा उपचुनाव सरकार के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल है क्योंकि प्रकाश पंत का जो कद रहा है उसके चलते भाजपा संगठन और राज्य सरकार हर हाल में पिथौरागढ़ सीट जीतना चाहती है. लेकिन अगर कांग्रेस विधानसभा सीट को जीतने में कामयाब होती है तो विधानसभा चुनाव 2022 से पहले कांग्रेस के लिए संजीवनी बूटी की तरह होगी.