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पढ़ाई की ऐसी ललक नहीं देखी होगी आपने, बेटे के साथ कक्षा 8 में ले लिया एडमिशन

कहते हैं पढ़ाई के लिए कोई उम्र नहीं होती. इंसान जब चाहे पढ़ाई शुरू कर सकता है. राजधानी देहरादून के दूरस्थ गांव के एक स्कूल में एक 40 साल की मां ने अपने 12 साल के बेटे के स्कूल में अब कक्षा 8 में एडमिशन लिया है.

Updated on: 18 Jul 2019, 07:13 PM

highlights

  • मां ने अपने बेटे के साथ कक्षा 8 में लिया प्रवेश
  • पढ़ने की ललक देख कर पति ने ही कराया एडमिशन
  • घर का काम भी पूरा करती हैं

देहरादून:

कहते हैं पढ़ाई के लिए कोई उम्र नहीं होती. इंसान जब चाहे पढ़ाई शुरू कर सकता है. राजधानी देहरादून के दूरस्थ गांव के एक स्कूल में एक 40 साल की मां ने अपने 12 साल के बेटे के स्कूल में अब कक्षा 8 में एडमिशन लिया है. अपनी पढ़ाई पूरी करने की चाहत मां को सालों बाद स्कूल की ओर खींच लाई.

देहरादून के रायपुर ब्लॉक के दूरस्थ क्षेत्र बडेरना के उच्च प्राथमिक विद्यालय के कक्षा 8 में जो बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं उनमें एक महिला भी आपको नजर आ आएगी. जिनका नाम रेखा देवी है. दरअसल रेखा देवी पढ़ाई करने के लिए कक्षा 8 में प्रवेश ले चुकी हैं. रेखा देवी का बेटा आकाश इसी स्कूल में कक्षा 7 में पढ़ता है.

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सालों पहले शादी के नाम पर पढ़ाई छोड़ चुकीं रेखा देवी अब अपनी पढ़ाई पूरा करना चाहती हैं. इसलिए उन्होंने स्कूल में दाखिला ले लिया. जिस स्कूल में बेटे को तैयार करके भेजती थीं अब वहीं बेटे के साथ सुबह शिक्षा ग्रहण करने पहुंच रही हैं.

रेखा देवी का कहना है कि करीब 15 साल पहले शादी की वजह से उनकी पढ़ाई छूट गई थी सातवीं के बाद घर वालों ने उनको पढ़ाना गवारा नहीं समझा. लेकिन अब वह चाहती हैं कि अपनी पढ़ाई पूरी करें जिसमें उनके पति ज्ञान सिंह कठैत उन्हें पूरा सहयोग किया है.

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सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले रेखा देवी के बेटे आकाश का कहना है कि मां का स्कूल में आना उसे अच्छा लगता है. वह चाहता है कि उसकी मां पढ़ाई करें और कम से कम 12वीं तक की पढ़ाई पूरी करें. आकाश को किसी तरह का संकोच नहीं है कि उसके स्कूल में उसकी मां भी उसके साथ पढ़ाई कर रही है.

12 साल के आकाश की बातें भी आत्मविश्वास से भरी हुई हैं. रेखा देवी के स्कूल में दाखिला लेने के बाद स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को भी उनका साथ काफी अच्छा लग रहा है. आठवीं क्लास की मुस्कान का कहना है कि उनकी क्लास में एक स्टूडेंट और बड़ा है जिससे उन्हें काफी खुशी है.

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वह चाहती हैं कि रेखा देवी से हर महिला प्रेरित हो. रेखा देवी की पढ़ने की ललक देखकर सातवीं क्लास की स्वाति का कहना है कि उसने अपने मामा से भी कहा कि आपने मेरी मम्मी को क्यों पढ़ाई नहीं करवाई जबकि और लोगों को परिवार में खूब पढ़ाया गया वह चाहती हैं कि उसकी मां भी आकाश की मम्मी की तरह स्कूल में पढ़ने आएं.

उच्चतर प्राथमिक विद्यालय बडेरना के टीचर्स का कहना है कि जब रेखा देवी के पति ज्ञान सिंह कठैत ने यह प्रस्ताव रखा कि उनकी पत्नी भी कक्षा आठ में प्रवेश लेना चाहती हैं तो सभी टीचर्स को बड़ी हैरानी हुई. लेकिन खुशी इस बात की है कि रेखा देवी के आत्मविश्वास और उनके परिवार के सहयोग के कारण वह सपना देख पाई हैं.

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जिसके बाद टीचर्स ने उच्चाधिकारियों से उनके प्रवेश को लेकर अनुमति मांगी और अधिकारियों ने रेखा देवी को प्रवेश देने में स्वीकृति दी. रेखा देवी प्रदेश की कई महिलाओं के लिए उदाहरण बन सकती हैं जो सालों पहले अपनी शिक्षा छोड़ चुकी हैं और पढ़ाई पूरा करने का सपना आज भी देखती हैं.

वहीं स्कूल के गणित के अध्यापक प्रवीण पाल का कहना है कि कक्षा में जब वह गणित पढ़ाते हैं तो रेखा देवी बड़ी तेजी से उनकी बातों को समझती हैं उन्हें समझाने में बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं होती है इसलिए उन्हें विश्वास है कि वह आसानी से अपनी पढ़ाई पूरी कर पाएंगे.

घर के कामों को भी निपटाती हैं रेखा

रेखा देवी स्कूल के बाद घर के सभी कामों को निपटाती हैं. बच्चों के लिए खाना बनाने से लेकर जानवरों की देखरेख और खेती किसानी के सभी काम वह पूरे करती हैं. इसमें उनके पति ज्ञान सिंह भी उनकी मदद करते हैं. रेखा देवी के पति ज्ञान सिंह गांव में ही मनरेगा के तहत मजदूरी करते हैं.

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उनका कहना है कि पिछले कई सालों से उनकी पत्नी अपनी पढ़ाई पूरा करना चाहती थीं लेकिन बच्चे छोटे होने के चलते कभी भी यह इतना आसान नहीं था लेकिन अब उन्होंने यह फैसला लिया है कि उनकी पत्नी अब स्कूल में प्रवेश लें. ज्ञान सिंह कहते हैं कि उनकी पत्नी जब तक चाहेंगी शिक्षा ग्रहण करें उसमें वह पूरा सहयोग कर रहे हैं.