उत्तराखंड में कांग्रेस के अंदर अभी से दिखने लगे मतभेद, हरीश रावत के इस बयान पर पार्टी में मचा घमासान
कांग्रेस महासचिव हरीश रावत राज्य के दौरे पर हैं, लेकिन उनकी टिप्पणी ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है. इसे लेकर कांग्रेस के अंदर ही 'वाक युद्ध' छिड़ गया है.
देहरादून:
उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की तैयारियां जोरों पर हैं. तमाम सियासी पार्टियां रणनीति बनाने में लगी है. मगर कांग्रेस के अंदर मतभेद अभी से उभरकर सामने आ रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कांग्रेस नेतृत्व को प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की सलाह दी है, जिस पर अब उत्तराखंड की सियासत गरमा गई है. कांग्रेस महासचिव रावत राज्य के दौरे पर हैं, लेकिन उनकी टिप्पणी ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है. इसे लेकर कांग्रेस के अंदर ही 'वाक युद्ध' छिड़ गया है.
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पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की ओर से विधानसभा चुनाव से पहले 'कैप्टन' की घोषणा करने की सलाह देने के साथ ही पार्टी में एक बार फिर से आपसी मतभेद उभरकर सामने आ गए हैं. रावत की इस सलाह की नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश ने तीखी आलोचना की है. रावत ने कहा था, 'यह वास्तविकता है कि प्रीतम सिंह 'कमांडर' हैं, इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में घोषित किया जाना चाहिए. मैं इंदिरा ह्रदयेश का भी स्वागत करूंगा और मैंने अपने नाम पर भ्रम की स्थिति को समाप्त कर दिया है.'
उन्होंने यह भी कहा, 'पार्टी को उन्हें कलेक्टिव (संगठन) नेतृत्व से मुक्त करना चाहिए और उन्हें स्वतंत्र करना चाहिए. मैं उन लोगों के खिलाफ चेतावनी देना चाहता हूं जो अनुचित साधनों के माध्यम से राज्य पर कब्जा करना चाहते हैं. मैं कांग्रेस को राज्य में नीचे जाते नहीं देखना चाहता.' इससे पहले सोमवार को उन्होंने कहा था कि पार्टी में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए और मुख्यमंत्री के तौर पर एक व्यक्ति का नाम घोषित किया जाना चाहिए.
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उनके इस बयान के बाद कांग्रेस के कुछ नेताओं का यह भी कहना है कि पार्टी में कभी भी चुनाव से पहले मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करना परंपरा में नहीं रहा है. इस पर रावत ने कहा कि पंजाब और मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में पार्टी ने ऐसा किया है. पूर्व मुख्यमंत्री के ताजा बयान के बाद राज्य प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा, 'हम स्पष्ट हैं कि कांग्रेस अगले साल के लिए होने वाले चुनावों में क्लेक्टिव नेतृत्व के लिए जाएगी.'
उत्तराखंड कांग्रेस के कई नेता रावत के बयान से सहमत नहीं दिख रहे हैं. कुछ नेताओं का कहना है कि वह रावत ही थे, जो 2017 में पार्टी का नेतृत्व कर रहे थे और वह दोनों ही सीटों पर हार गए थे. वहीं रावत का कहना है, 'मैं पार्टी पर बोझ नहीं बनना चाहता, मेरे पास अभी भी 2017 के काले धब्बे हैं.' बहरहाल, चुनाव से पहले कांग्रेस के अंदर के मतभेद सामने आने से पार्टी को आने वाले वक्त में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है.
(इनपुट-आईएएनएस)
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