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मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े केस को योगी सरकार ने गोपनीय तरीके से वापस लिया

मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े केस को योगी सरकार ने गोपनीय तरीके से वापस लिया

Updated on: 24 Jul 2019, 11:16 AM

highlights

  • योगी सरकार ने गोपनीय तरीके से जारी किए 3 शासनादेश
  • 114 में अब सिर्फ 12 मामले लंबित हैं
  • 76 मुकदमे वापस लिए जा चुके हैं

मुजफ्फरनगर:

यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े केस वापस लेने का आदेश दिया है. बताया जा रहा है कि गोपनीय तरीके से शासनादेश जारी करके अब तक कुल 76 मुकदमों को वापस लिया जा चुका है. केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, यूपी सरकार के मंत्री सुरेश राणा, विधायक संगीत सोम और उमेश मालिक के मामलों में प्रक्रिया जारी है.

इन सभी ने पिछले साल योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करके 114 केस वापस लेने का आग्रह किया था. इनका आरोप था कि राजनीतिक द्वेष भावना के कारण सपा की सरकार ने उन पर फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए थे. अलग-अलग थानों में एक ही आरोपी के नाम पर दंगों के मुकदमे दर्ज हुए थे.

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यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने ऐसे 93 केस वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की थी. कोर्ट प्रक्रिया में अब तक 5 मुकदमें और 12 लंबित मामलों के अलावा अन्य सभी केस वापस लिए जा चुके हैं. योगी सरकार ने जिन मुकदमों को वापस लेने की अनुमति दी है वह पुलिस और आम लोगों की तरफ से दर्ज कराए गए हैं.

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यह सभी केस आगजनी, लूट-डकैती व अन्य धाराओं के तहत दर्ज हुए थे. योगी सरकार के आने के बाद पिछले 1 साल से मुजफ्फरनगर दंगों के मामले में मुकदमें वापस लेने की प्रक्रिया जारी है. सरकार का कहना है कि सभी मुकदमें राजनीतिक द्वेष के कारण लिखाए गए थे.

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लिहाजा जांच करवा कर उन मुकदमों को वापस लिया जा रहा है. लोकसभा चुनाव से पहले 8 मार्च तक सरकार ने 7 शासनादेश जारी करके 48 मुकदमें वापस लेने की अनुमति दी थी. चुनाव के बाद अब सरकार ने जो 3 शासनादेश जारी किए हैं उनके जरिए 3 मुकदमे वापस लिए गए हैं.

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इनमें सबसे ज्यादा मुकदमे फुगाना थाने के हैं. इसके अलावा मोहरा कला, जानसठ, नई मंडी, शहर कोतवाली में दर्ज कराए गए मुकदमें भी शामिल हैं. जानकारी के मुताबिक मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पुलिस ने 500 से ज्यादा लोगों पर मुकदमें दर्ज किए थे जो लूट और आगजी के थे.

आपको बता दें कि शासनादेश जारी होने के बाद सरकार उसे मीडिया को बताती है और वेबसाइट पर जारी करती है. लेकिन चार दिन पहले जारी किए गए 3 शासनादेश के बारे में न तो मीडिया को बताया गया और न ही वेबसाइट पर अपलोड किया गया.