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अस्पताल के फर्श पर महिला ने बच्चे को जन्म दिया, इलाज न मिलने से हुई मौत

सरकार के विज्ञापनों को देख कर विश्वास किया जाए तो लगेगा कि पूरे प्रदेश में सबकुछ अच्छा-अच्छा हो रहा है. लेकिन विज्ञापनों में दिखने वाले चमकदार मॉडलों के चेहरे और आम आदमी के चेहरे में बहुत अंतर है.

Updated on: 08 May 2019, 05:17 PM

highlights

  • बहराइच में इलाज न मिलने पर फर्श पर बच्चे का जन्म हुआ
  • इलाज न मिलने पर बच्चे की मौत हो गई
  • हाल ही में बना है नया महिला अस्पताल

नई दिल्ली:

सरकार के विज्ञापनों को देख कर विश्वास किया जाए तो लगेगा कि पूरे प्रदेश में सबकुछ अच्छा-अच्छा हो रहा है. लेकिन विज्ञापनों में दिखने वाले चमकदार मॉडलों के चेहरे और आम आदमी के चेहरे में बहुत अंतर है. केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार आम जनमानस को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए नए अस्पताल और मेडिकल कॉलेज खोल रही है. लेकिन व्यवस्था है कि सुधरने का नाम नहीं ले रही है.

इसका एक ताजा उदाहरण उत्तर प्रदेश के सबसे पिछड़े जिलों में शामिल बहराइच जिले में देखने को मिला है. जहां एक महिला ने अस्पताल के फर्श पर बच्चे को जन्म दे दिया. बहराइच में 100 बेड वाला नया महिला अस्पताल बनकर तैयार हुआ है. लेकिन इस अस्पताल में किसी भी महिला की सुध नहीं ली. नतीजतन महिला को फर्श पर बिना प्रशिक्षित स्टाफ की देख रेख में बच्चे को जन्म देना पड़ा.

मामला बहराइच के रिसिया इलाके का है. जहां शंकरपुर की रहने वाली सरिता त्रिपाठी को लेबर पेन महसूस हुआ तो घर वाले उसे अस्पताल ले गए. लेकिन घंटों तक अस्पताल में किसी भी स्टाफ ने उसकी सुध नहीं ली. परिजनों ने उसे फर्श पर बैठा दिया. जहां वह महिला तड़पने लगी. उसने वहीं एक बच्चे को जन्म दिया.

परिजनों का कहना है कि अस्पताल की लापरवाही के कारण फर्श पर बच्चा पैदा हुआ, सही इलाज न मिलने के कारण उसने दम तोड़ दिया. वहीं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि बच्चा मरा हुआ ही पैदा हुआ था. मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने बयान देकर मामले से पल्ला झाड़ने का प्रयास किया. लेकिन खास बात यह है कि वह वहां मौजूद भी नहीं थीं. महिला के पति कौशलमल त्रिपाठी के मुताबिक वह अपनी पत्नी को भर्ती करवाने के लिए घंटों तक अस्पताल के चक्कर काटते रहे. लेकिन उनकी अस्पताल प्रशासन ने एक न सुनी.