तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं को सालाना 6 हजार रुपये देगी उत्तर प्रदेश सरकार
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार तीन तलाक पीड़िताओं के साथ है. मुख्यमंत्री बुधवार को यहां इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं के साथ संवाद कर रहे थे.
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार तीन तलाक पीड़िताओं के साथ है. मुख्यमंत्री बुधवार को यहां इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं के साथ संवाद कर रहे थे. पीएम जन विकास कार्यक्रम के तहत हुए इस आयोजन में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार तीन तलाक पीड़िताओं की नि:शुल्क पैरवी करेगी. उन्होंने कहा कि तीन तलाक पीड़िताओं के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा तथा पात्रता के अनुसार उनको केंद्र एवं प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ मिलेगा एवं योग्यता के अनुसार उनको सरकार समायोजित भी करेगी. योगी ने कहा कि इन बच्चों को कौशल विकास कार्यक्रम के तहत रुचि के अनुसार प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा.
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उन्होंने तीन तलाक पीड़ित महिलाओं से कहा, 'बंदिशों और चुनौतियों के बावजूद सदियों से जारी एक कुरीति के खात्मे और अपने हक के लिए संघर्ष का जो जज्बा आप सबने दिखाया, वह काबिले तारीफ है. आपके सफल संघर्ष से आप जैसी पीड़िताओं को जीने की राह मिली है. उनके संघर्ष का माद्दा बढ़ा है. आपकी लड़ाई जोड़ने और निर्माण की है, लिहाजा इसे हम कमजोर नहीं होने देंगे. इंसाफ नहीं मिलने तक सरकार हर पीड़िता को साल में 6000 रुपये देगी. पात्रता के अनुसार, केंद्र एवं प्रदेश सरकार की सारी योजनाओं का भी लाभ उन्हें मिलेगा.'
योगी ने निर्देश दिया कि पीड़ित महिलाओं को चिन्हित करने के लिए सभी मंडलों में इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएं और मिलने वाले आवेदनों की समीक्षा अपर मुख्य सचिव (गृह) स्वयं करें. उन्होंने कहा कि जांच करने वाले पुलिस अधिकारी की जवाबदेही तय होनी चाहिए और दोषी पाए जाने पर दंड भी सुनिश्चित किया जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज कल्याण और संबंधित विभाग मिलकर तीन तलाक पीड़िताओं के समग्र विकास के लिए ठोस कार्ययोजना बनाकर उसे प्रभावी तरीके से अमल में लाएं तथा वक्फ की संपत्ति में भी पीड़िताओं को हक दिलाना सुनिश्चित करें.
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उन्होंने कहा कि बिना भेदभाव के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बड़े वर्ग की महिलाओं के सम्मान और सशक्तिकरण के लिए जो कदम उठाए हैं ‘‘उसके लिए मैं उनकी भी सराहना करता हूं. यह काम आजादी के तुरंत बाद हो सकता था. पाकिस्तान सहित दुनिया के 22 देशों में तीन तलाक की कुप्रथा नहीं है. शरीयत में भी इसका जिक्र नहीं है लेकिन धर्मनिरपेक्षता का लबादा पहनकर तुष्टिकरण की राजनीति करने वालों ने यह काम अपने राजनीतिक हित के चलते नहीं किया. यह स्थिति तब थी जब उच्चतम न्यायालय पांच बार ऐसा करने का निर्देश दे चुका था. शाहबानों केस के बाद इनका असली चेहरा बेनकाब हो गया.' कार्यक्रम में जौनपुर की रेशमा बानो, अमरोहा की सुमैला जावेद, सिद्धार्थनगर की हसीना, सीतापुर की हिना फातिमा और अलीगढ़ की रूही फातिमा ने आप बीती सुनाई.
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