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वाराणसी में गंगा किनारे जिंदा ही नहीं मुर्दा भी हुए परेशान, जानिए क्या है पूरा मामला

मोक्ष दायिनी गंगा अपना विकराल रूप दिखा रही है. खतरे के निशान से 6 मीटर दूर गंगा इसे चुनने को बेताब है.

Updated on: 16 Aug 2019, 05:30 PM

नई दिल्ली:

मोक्ष दायिनी गंगा अपना विकराल रूप दिखा रही है. खतरे के निशान से 6 मीटर दूर गंगा इसे चुनने को बेताब है. खतरा इसलिए भी बड़ा है, क्योंकि गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. जो गंगा गर्मियों में घाटों को छोड़ चुकी थी. नाराज सी हो गयी थी. वही गंगा अब अपने विकराल रूप से सभी को डरा रही है. अब तो महाश्मशान भी बाढ़ की चपेट में आ गया है. शवदाह किसी तरह घाट की बची हुई सीढियों पर किया जा रहा है. वाराणसी में गंगा का जलस्तर लगतार बढ़ रहा है, जिससे घाट के सम्पर्क तो एक दूसरे से टूट ही गए हैं, शवदाह भी अब घाट की बची सीढ़ियों पर हो रहा है.

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महाश्मसान हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं, क्योकि यहां मान्यता ऐसी है कि खुद भगवान शिव हर जलने वाले शव के कान में तरक मंत्र देते है, जिससे की मारने वाले को मुक्ति मिल जाती है. लेकिन पिछले दो दिनों से गंगा में हो रही जल वृद्धि से दाह संस्कार करने में काफी परेशानियां हो रही हैं. वजह ये है कि घाट पर चारों तरफ पानी आ गया है और इसी कारण अब यहां चिता घाट के सीढ़ियों पर जलाई जा रही है. गंगा में जलस्तर बढ़कर 65.22 मीटर हो गया है. घाट पर शवदाह कराने वालों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. बड़ी मुश्किल से वो शवदाह करा पा रहे हैं.

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सबसे ज्यादा परेशानी शव को लेकर आये परिजनों को हो रही है. क्योंकि शव जलाने के लिए जगह की कमी तो हो रही है और साथ में आए परिजनों को यहां बैठने का स्थान भी नहीं मिला पा रहा है. लकड़िया भी लाने में यहां परेशानी हो रही है. गंगा की लहरों में आये इस तूफान के कारण अब जिन्दों के साथ साथ मारने वालों को भी परेशानी हो रही है. अब देखना ये होगा की मां गंगा कब तक स्थिर होती है, ताकि सब कुछ फिर से पटरी पर लौट सके.

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