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बच्चा चोरी के शक में दिल्ली पुलिस की टीम को UP में पीटने वाले थे लोग, ऐसे बचाई जान

जरूरत से ज्यादा चतुर बनना दिल्ली पुलिस की एक टीम को बहुत महंगा पड़ा. चोरी-छिपे गांव में घुस रही दिल्ली पुलिस टीम को भीड़ ने 'बच्चा-चोर' समझकर घेर लिया.

Updated on: 29 Aug 2019, 07:12 PM

highlights

  • पुलिस उपायुक्त को इस बारे में जानकारी ही नहीं है
  • चोरी छिपे गांव में घुस रही थी पुलिस
  • किसी ने पुलिस को जब सूचना दी तब जाकर बची जान

नई दिल्ली:

जरूरत से ज्यादा चतुर बनना दिल्ली पुलिस की एक टीम को बहुत महंगा पड़ा. चोरी-छिपे गांव में घुस रही दिल्ली पुलिस टीम को भीड़ ने 'बच्चा-चोर' समझकर घेर लिया. नौबत पिटने की आती, उससे पहले ही किसी रहम-दिल अजनबी ने स्थानीय थाने को खबर कर दी. मौके पर पहुंची यूपी पुलिस ने बेकाबू भीड़ के बीच फंसी दिल्ली पुलिस टीम को पिटने से बचाया. दिल्ली पुलिस के संबंधित जिला डीसीपी इस सनसनीखेज घटना से अनजान हैं.

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घटना बुधवार की है. घटनाक्रम के मुताबिक, उत्तर-पूर्वी दिल्ली जिले के वेलकम थाने की एक टीम बिना वर्दी के (सिविल ड्रेस) ही दिल्ली से बरेली पहुंची. दिल्ली के वेलकम थाने की पुलिस टीम काले रंग की स्कॉर्पियो कार में सवार थी. दो सिपाहियों के साथ निकली वेलकम थाने की टीम का नेतृत्व सहायक उप-निरीक्षक खुर्शीद अली कर रहे थे.

आईएएनएस से बातचीत करते हुए बरेली परिक्षेत्र (रेंज) के उप-महानिरीक्षक (डीआईजी) राजेश पाण्डेय ने घटना की पुष्टि की है. डीआईजी बरेली रेंज के मुताबिक, "बरेली जिले के भोजीपुरा थाना क्षेत्रांतर्गत गांव भूड़ा में रानी पत्नी शानू रहती है. इनके खिलाफ दिल्ली के वेलकम थाने में दहेज उत्पीड़न का कोई आपराधिक मामला दर्ज है. दिल्ली पुलिस सिविल ड्रेस में रानी के घर (गांव भूड़ा) सम्मन तामील कराने पहुंची थी."

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दिल्ली पुलिस टीम को गांव की भीड़ ने आखिर क्यों घेर लिया और कैसे? इस सवाल पर डीआईजी (बरेली रेंज) ने आईएएनएस से कहा, "दिल्ली पुलिस की टीम सादे लिबास में और प्राइवेट गाड़ी में थी. इसलिए भीड़ को कुछ गलतफहमी हो गई होगी."

क्या दिल्ली पुलिस की टीम ने गांव में जाने से पहले स्थानीय थाना भोजीपुरा पुलिस में अपनी आमद दर्ज कराकर स्थानीय थाने से किसी पुलिसकर्मी को साथ लिया था? यह पूछे जाने पर डीआईजी ने कहा, "नहीं."

आईएएनएस के सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली पुलिस टीम जैसे ही गुपचुप तरीके से और सादे लिबास में आरोपी महिला के घर पर पहुंची, तो घर में महिला अकेली थी. साथ ही दिल्ली पुलिस टीम भी बे-वर्दी थी. दूसरी बात कि दिल्ली पुलिस सरकारी वाहन के बजाय प्राइवेट काली स्कॉर्पियो में थी. यही वजह है कि आरोपी महिला और गांव वालों को उन सब पर संदेह हुआ.

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लिहाजा, संदिग्ध वाहन और कुछ अजनबी लोगों (दिल्ली के वेलकम थाने की पुलिस टीम) को देखकर गांव वालों की भीड़ ने उन सबको घेर लिया. भीड़ में मौजूद तमाम तमाशबीन कथित रूप से दिल्ली पुलिस टीम को बच्चा चोर समझकर एक-दूसरे को उन सबकी पिटाई के लिए उकसा रहे थे. जबकि गांव वालों की भीड़ से घिरी दिल्ली पुलिस की टीम खुद को एकदम असहाय महसूस कर रही थी.

सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि पिटाई से बचने के लिए दिल्ली पुलिस की टीम ने खुद को काली स्कॉर्पियो के अंदर बंद कर लिया. भीड़ हमला कर पाती, उससे पहले ही गांव वालों की भीड़ में से किसी समझदार ग्रामीण ने स्थानीय पुलिस थाने (थाना भोजीपुरा) इंस्पेक्टर मनोज त्यागी को खबर कर दी.

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भोजीपुरा (जिला बरेली) थाने की पुलिस जब मौके पर पहुंची और स्कॉर्पियो कार के भीतर बंद दिल्ली पुलिस टीम के सदस्यों के परिचय पत्र देखे तो भोजीपुरा थाने की पुलिस ने गांव वालों को समझा-बुझाकर मौके से हटाया. इस तरह दिल्ली पुलिस टीम भीड़ का शिकार होते-होते बची. इस टीम को भोजीपुरा थाने ले जाया गया. इस पूरे तमाशे में बुरी तरह फंसी दिल्ली के वेलकम थाने की पुलिस आरोपी महिला को सम्मन दे पाई या नहीं, इसका फिलहाल पता नहीं चल पाया है.

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उधर, आईएएनएस ने दिल्ली में मौजूद उत्तर-पूर्वी दिल्ली जिले के (जिनके इलाके में वेलकम थाना है) पुलिस उपायुक्त अतुल कुमार ठाकुर से जब घटना के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, "आप पूछना क्या चाह रहे हैं? आईएएनएस ने उनकी टीम के साथ हुए घटनाक्रम को जब दुबारा दोहराया तब उन्होंने कहा, "मेरी टीम यूपी के बरेली में पिटते-पिटते बची है. मुझे इसके बारे में फिलहाल कुछ नहीं पता है. मैं पता करके बता पाऊंगा."