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देश में मंदी के बीच कालीन उद्योग जबरदस्त तरक्की कर रहा है

देश मे मंदी को लेकर विपक्ष के आरोपों से घिरी मोदी सरकार के लिए कालीन उद्योग से राहत की खबर है. कालीन निर्यात में नई ऊंचाइयों को छूते हुए यह उद्योग अब 12 हजार 365 करोड़ का हो गया है.

Updated on: 15 Oct 2019, 01:50 PM

भदोही:

देश मे मंदी को लेकर विपक्ष के आरोपों से घिरी मोदी सरकार के लिए कालीन उद्योग से राहत की खबर है. कालीन निर्यात में नई ऊंचाइयों को छूते हुए यह उद्योग अब 12 हजार 365 करोड़ का हो गया है. साथ ही एक वर्ष में इस उद्योग से बारह सौ करोड़ के निर्यात की बढोत्तरी हुई है. मार्च 2019 तक का यह आंकड़ा देश की कालीन निर्यात सम्वर्धन परिषद द्वारा जारी किया गया है. जो कालीन उद्योग में अब तक के निर्यात में सबसे अधिक है. अन्य क्षेत्रों में जहां मंदी का दौर चल रहा है वहीं कालीन उद्योग के निर्यात में बढोत्तरी से निर्यताको में खुशी का माहौल है.

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पूरे विश्व में हस्तनिर्मित कालीन बनाने वाले कई देशों के सामने मशीनमेड कालीनों के कारण हस्तनिर्मित कालीनों का काम ठप हो रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण है उन देशों में लेबर कॉस्ट अधिक हो जाना. चाइना पहले खुद हस्तनिर्मित कालीन बनाता था लेकिन अब यह काम वहां पूरी तरह ठप हो गया है. इसके कॉटन चाइना जैसे और कई देश खुद भारत से कालीनों का आयात कर रहे हैं.

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इससे निर्यात बढ़ाने में मदद मिल रही है. वर्तमान में भारत के अलावा ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे देश हस्तनिर्मित कालीन बना रहे हैं. लेकिन बेहतरीन बुनकरी के साथ-साथ सरकार द्वारा दूसरे देशों से बनाये गए मैत्रीपूर्ण सम्बन्धो और यहां की कालीनों की ब्रांडिंग के कारण विश्व के 56 से अधिक देश भारतीय कालीनों का आयात कर रहे हैं.

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इसे लेकर निर्यताकों ने सरकार को बधाई देते हुए निर्यात में हुई जबदस्त बढोत्तरी का स्वागत किया है. निर्यताकों का कहना है कि पिछले वर्ष पीएम मोदी ने कालीन निर्यात को दोगुना करने का टारगेट दिया था और सरकार का सहयोग मिलता रहेगा तो 2022 तक कालीन निर्यात 20 हजार करोड़ से अधिक हो सकता है.

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भारत मे भदोही, वाराणसी, मिर्जापुर, जयपुर, बीकानेर, पानीपत, आगरा, कश्मीर सहित अन्य क्षेत्रों में हस्तनिर्मित कालीनों का निर्माण किया जाता रहा है. अब साउथ और नोएडा नए सेंटर के तौर पर उभर रहे हैं. इससे पूरे देश मे लगातार निर्यात में बढोत्तरी हो रही है. इसे लेकर कालीन निर्यात सम्वर्धन परिषद के चेयरमैन सिद्धनाथ सिंह ने कहा कि पूरे देश मे उद्योग का बढ़ना अच्छा है लेकिन यूपी में भी निर्यात बढ़े इसपर जोर देने की जरूरत है.