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मैसूर में बोले पीएम मोदी- जब भारत की चेतना क्षीण हुई तब संतों-ऋषियों ने... 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) दो दिन के कर्नाटक दौरे पर हैं. पीएम मोदी ने मैसूर में सभा को संबोधित किया.

Updated on: 20 Jun 2022, 08:41 PM

highlights

  • पीएम नरेंद्र मोदी ने मैसूर के सुत्तुर मठ में सभा को संबोधित किया
  • युग बदले, समय बदला, भारत ने समय के अनेक तूफानों का सामना किया : PM
  • हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि ज्ञान के समान पवित्र कुछ और नहीं है : मोदी

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) दो दिन के कर्नाटक दौरे पर हैं. पीएम मोदी ने सोमवार को मैसूर के सुत्तुर मठ में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि इस आध्यात्मिक अवसर पर मैं श्री सुत्तुर मठ के संतों, आचार्यों, मनीषियों को इस मठ की महान परंपरा, इसके प्रयासों को नमन करता हूं. विशेष रूप से मैं आदि जगद्गुरु शिवरात्रि शिवयोग महास्वामी को प्रणाम करता हूं, जिन्होंने इस आध्यात्मिक वट वृक्ष का बीज रोपा था.

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पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं मैसूर की अधिष्ठात्री देवी माता चामुंडेश्वरी को प्रणाम करता हूं. ये मां की कृपा ही है कि आज मुझे मैसूर आने का सौभाग्य मिला, मैसूर के विकास के लिए कई बड़े कार्यों के लोकार्पण का अवसर भी मिला. हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि ज्ञान के समान पवित्र कुछ और नहीं है, ज्ञान का कोई और विकल्प नहीं है. और इसलिए, हमारे ऋषियों, मनीषियों ने भारत को उस चेतना के साथ गढ़ा- जो ज्ञान से प्रेरित है, विज्ञान से विभूषित है.

उन्होंने आगे कहा कि युग बदले, समय बदला, भारत ने समय के अनेक तूफानों का सामना किया. लेकिन, जब भारत की चेतना क्षीण हुई, तो देश के कोने-कोने में संतों-ऋषियों ने पूरे भारत को मथकर देश की आत्मा को पुनर्जीवित कर दिया. आज जब हम देश की आजादी के 75 साल मना रहे हैं, तो आजादी के अमृत काल का ये कालखंड सबके प्रयास का उत्तम अवसर है. हमारे ऋषियों ने सहकार, सहयोग और सबके प्रयास के इस संकल्प को 'सहनाववतु, सहनौभुनक्तु, सह वीर्यं करवावहै' जैसी वेद मंत्रों के रूप में हमें दिया है.

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प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भगवान बसवेश्वर ने हमारे समाज को जो ऊर्जा दी थी, उन्होंने लोकतंत्र, शिक्षा और समानता के जो आदर्श स्थापित किए थे, वो आज भी भारत की बुनियाद में हैं. शिक्षा के क्षेत्र में आज ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ का उदाहरण हमारे सामने है. शिक्षा हमारे से भारत के लिए सहज स्वभाव रही है. इसी सहजता के साथ हमारी नई पीढ़ी को आगे बढ़ने का अवसर मिलना चाहिए. इसके लिए स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई के विकल्प दिए जा रहे हैं.