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दिशा एक्ट के लिए दो महिला अधिकारियों की नियुक्ति, 21 दिन में मिलेगा इंसाफ

हैदराबाद में वेटनरी डॉक्टर दिशा गैंगरेप व हत्याकांड के बाद आंध्र प्रदेश सरकार ने पिछले साल दिसंबर में इस तरह के मामलों में दोषियों को जल्द सख्त से सख्त सजा दिलाने के लिए दिशा एक्ट पारित किया था.

Updated on: 03 Jan 2020, 12:09 PM

अमरावती:

हैदराबाद में वेटनरी डॉक्टर दिशा गैंगरेप व हत्याकांड के बाद आंध्र प्रदेश सरकार ने पिछले साल दिसंबर में इस तरह के मामलों में दोषियों को जल्द सख्त से सख्त सजा दिलाने के लिए दिशा एक्ट पारित किया था. इस कानून को रेप के दोषियों के खिलाफ अब तक का सबसे सख्त कानून बताया जा रहा है. इस कानून में 21 दिनों के भीतर ट्रायल पूरा कर फांसी की सजा देने का भी प्रावधान रखा गया है. इस कानून को आंध्र प्रदेश विधानसभा में 13 दिसंबर को पास किया गया था. प्रदेश सरकार ने इस कानून को 'आंध्र प्रदेश दिशा एक्ट' नाम दिया गया. दिशा कानून को लागी कराने और इसकी निगरानी के लिए दो महिला अधिकारियों को नियुक्त किया गया है. इन दोनों ही अधिकारियों को काफी सख्त माना जाता है.

आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से इस कानून की निगरानी के लिए आईएएस अधिकारी डॉ. कृतिका शुक्ला और आईपीएस अधिकारी एम. दीपिका को इस कानून से जुड़े मामलों के लिए स्पेशल अफसर नियुक्त किया गया है. डॉ. कृतिका शुक्ला इस समय महिला एवं बाल विकास में बतौर निदेशक तैनात हैं. इसके साथ ही अब उन्हें 'दिशा' स्पेशल अफसर का अतिरिक्त चार्ज भी दिया गया है. वहीं एम. दीपिका कुरनूल में एएसपी के पद पर तैनात थीं. उन्हें वहां से ट्रांसफर कर बतौर 'दिशा' स्पेशल अफसर नई तैनाती मिली है.

क्या है दिशा कानून
इस कानून में रेप आरोपियों को सख्त सजा दिलाए जाने के प्रावधान किए गए हैं. दिशा कानून में रेप के मामले में 14 दिनों के भीतर ट्रायल पूरा कर लिया जाएगा और 21 दिन में अदालत फैसला सुनाएगी. दोषी के लिए अपील करने का समय भी कम कर दिया गया है. दोषियों को अपील के लिए केवल 45 दिन का समय दिया गया है. इससे पहले दोषियों को अपील के लिए 6 महीने का समय दिया जाता था. रेप जैसे जघन्य मामलों में आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने पर 21 दिनों के भीतर फांसी की सजा को इसमें जोड़ा गया है.