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SMS अस्पताल में गलत खून चढ़ाने से मरीज की मौत, जांच कमेटी गठित

SMS ट्रॉमा सेंटर में परिजनों को ब्लड लाने के लिए जो सैंपल और पर्ची दी गई, वह किसी और मरीज की थी. जब परिजनों ने ट्रॉमा ब्लड बैंक में यह पर्ची दी तो स्टाफ ने वही ब्लड ग्रुप एबी पॉजिटिव थमा दिया था, जबकि सचिन का ग्रुप ओ पॉजिटिव था

Updated on: 23 Feb 2024, 05:32 PM

नई दिल्ली:

राजस्थान के सबसे बड़े अस्पताल सवाई मान सिंह (एसएमएस) में गलत ब्लड चढ़ाने से एक युवक की मौत हो गई. युवक की पहचान बांदीकुई निवासी 23 साल के सचिन शर्मा के रूप में हुई. ट्रॉमा वार्ड में 12 फरवरी को सचिन को रोड एक्सीडेंट के बाद भर्ती कराया गया था. यहां मरीज को ओ पॉजिटिव की जगह एबी पॉजिटिव ब्लड और प्लाज्मा चढ़ा दिया था. जिससे दोनों किडनी खराब हो गई थी. SMS ट्रॉमा सेंटर में परिजनों को ब्लड लाने के लिए जो सैंपल और पर्ची दी गई, वह किसी और मरीज की थी. जब परिजनों ने ट्रॉमा ब्लड बैंक में यह पर्ची दी तो स्टाफ ने वही ब्लड ग्रुप एबी पॉजिटिव थमा दिया था, जबकि सचिन का ग्रुप ओ पॉजिटिव था. इसी वजह से गलत ब्लड और प्लाज्मा सचिन को चढ़ा दिया गया था.

ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव चढ़ाने से बिगड़ी तबीयत
ब्लड चढ़ाने के बाद ट्रोमा में ऑपरेशन के बाद उसे प्लास्टिक सर्जरी विभाग में शिफ्ट कर दिया गया था. यहां जब मरीज को दोबारा ब्लड की जरूरत पड़ी तो डॉक्टरों ने फिर से पर्ची बनाकर दी थी. जब मरीज के परिजन ब्लड लेकर पहुंचे तो ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव (O+) बताते हुए ब्लड दिया और युवक के चढ़ा भी दिया था. यदि सचिन प्लास्टिक सर्जरी विभाग में एडमिट नहीं किया जाता और एसएमएस से ब्लड नहीं मंगाते तो यह लापरवाही सामने ही नहीं आती.मरीज की मौत पर परिजनों ने हंगामा भी किया और कार्रवाई की मांग भी की है.

ट्रॉमा सेंटर से मिले ब्लड की रिपोर्ट और पूरी जानकारी सचिन की फाइल पर नहीं लिखी गई थी. ट्रॉमा ब्लड बैंक से ब्लड लेने के बाद इसकी पूरी डिटेल मरीज की फाइल पर चढ़ानी होती है. इसमें ब्लड ग्रुप से लेकर ब्लड बैग पर लगे टैग तक को क्रॉस चेक करना होता है, लेकिन सचिन की फाइल पर ऐसी कोई डिटेल नहीं लिखी गई थी.ऐसे में जब सचिन को प्लास्टिक सर्जरी विभाग में रेफर किया गया तो ब्लड की जानकारी ही नहीं लग सकी थी. डिटेल पूरी होती तो प्लास्टिक सर्जरी विभाग में ब्लड सैंपल दिए जाने से पहले ही ब्लड ग्रुप का पता चल जाता.

24 घंटे में अस्पताल की ओर से बनाई गई कमेटी 

पूरे मामले की जांच के लिए दो जांच कमेटी गठित की गई है. एसएमएस अस्पताल की ओर से बनाई गई कमेटी युवक पर 24 घंटे निगरानी रख रही थी और हर तरह का इलाज उपलब्ध करा रही थी. वहीं दूसरी ओर, एसएमएस मेडिकल कॉलेज की ओर से बनाया गया बोर्ड इस बात की जांच कर रहा है कि गलती किस विभाग और किससे हुई.