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इंदौर 'आंख फोड़वा' कांड: सुमित्रा महाजन ने अस्पताल को संरक्षण की बात कबूली, दिया यह बयान

उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि हॉस्पिटल को सहयोग नहीं करेंगे तो किसको करेंगे, अगर गलती हुई है तो उसकी जांच की जाए.

Updated on: 29 Aug 2019, 01:53 PM

इंदौर:

मध्य प्रदेश के इंदौर में हुए 'आंखफोड़वा कांड' को लेकर जारी बवाल के बीच पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने पूरे दम के साथ नेत्र चिकित्सालय को संरक्षण देने की बात को स्वीकार कर लिया है. सुमित्रा महाजन ने कहा कि कांग्रेस का मुझ पर अस्पताल को संरक्षण देने का आरोप लगाया, मुझे अच्छा लगा. उन्होंने कहा कि कई सालों से में डॉक्टर सुधीर महाशब्दे से परिचित हूं, उनके पिता भी मेरे करीबी रहे हैं. उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि हॉस्पिटल को सहयोग नहीं करेंगे तो किसको करेंगे, अगर गलती हुई है तो उसकी जांच की जाए.

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गौरतलब है कि इंदौर के नेत्र चिकित्सालय में करीब 11 लोगों की आंखों की रोशनी जाने के बाद से ही कांग्रेस पार्टी सुमित्रा महाजन पर अस्पताल को संरक्षण देने का आरोप लगा रही थी. कांग्रेस ने ताई पर हॉस्पिटल का लाइसेंस भी बहाल करने का आरोप लगाया था. लिहाजा सुमित्रा महाजन के कबूलनामे के बाद कांग्रेस फिर से हमलावर हो गई है. कांग्रेस ने सुमित्रा महाजन के इस बयान पर कड़ी आपत्ति लेते हुए कहा है कि इस बात से जाहिर हो चुका है कि कांग्रेस के आरोप बिल्कुल सत्य थे और बीजेपी के संरक्षण में ही इस अस्पताल में बंदरबांट हुई है, लेकिन कांग्रेस कि सरकार आरोपियों को नहीं बख्शेगी.

सुमित्रा महाजन के नेत्र चिकित्सालय और सुधीर महाशब्दे के परिवार से संबंधों का खुलासा करने वाले कांग्रेस प्रदेश सचिव राकेश यादव ने इस मामले में पलटवार करते हुए कहा है कि अगर हिंदुस्तान में सऊदी का कानून लागू होता तो संरक्षण देने वालों की भी आंखें निकाल ली जातीं. उन्होंने सुमित्रा महाजन से सवाल किया है कि क्या वह और उनका परिवार इन डॉक्टरों से आंखों का ऑपरेशन कराना पसंद करेगा.

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उधर, करीब दो हफ्ते बाद भी इस मामले में अभी तक एफआईआर दर्ज तक नहीं हुई है. संभागायुक्त और कलेक्टर ने मामले में एफआईआर दर्ज करने आदेश दिए थे, लेकिन मूल दस्तावेजों के अभाव में अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं हो पाई है. बुधवार रात को स्वास्थ्य विभाग के अफसर छत्रीपुरा थाने पहुंचे, लेकिन मूल दस्तावेज के बजाय वो अपने साथ उनकी फोटोकॉपी ले गए. जिसके बाद टीआई ने दस्तावेज देख उन्हें लौटा दिया और एफआईआर नहीं हो पाई.

बता दें कि इंदौर के आई अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 11 मरीजों की आंख की रोशनी चली गई थी. 8 अगस्त को 11 मरीजों का मोतियाबिंद ऑपरेशन हुआ था. इसके अगले दिन मरीजों ने आंख में सूजन की शिकायत की. मरीजों ने डॉक्टरों को बताया था कि उन्हें सिर्फ काली छाया दिखाई दे रही है. जांच के बाद डॉक्टरों ने भी माना था कि मरीजों की आंखों में इन्फेक्शन हो गया है. मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर को सील कर दिया था.

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