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मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने मानी हार, इस नंबर गेम के लिहाज से बीजेपी की सरकार बनना तय

मध्य प्रदेश के दिग्गज नेता और कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के इस्तीफे के साथ ही कांग्रेस में उस सियासी नाटक का पटाक्षेप हो गया, जिसकी शुरुआत सूबे में कांग्रेस की सरकार आने और कमलनाथ (Kamal Nath) को मुख्यमंत्री बनाए जा

Updated on: 10 Mar 2020, 03:40 PM

highlights

  • 19 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होते ही विधानसभा की स्ट्रेंथ सिर्फ 209 विधायकों की बचेगी.
  • बहुमत के लिए बीजेपी को सिर्फ 105 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता होगी.
  • हर हाल में मध्‍य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनती दिख रही है.

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश के दिग्गज नेता और कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के इस्तीफे के साथ ही कांग्रेस में उस सियासी नाटक का पटाक्षेप हो गया, जिसकी शुरुआत सूबे में कांग्रेस की सरकार आने और कमलनाथ (Kamal Nath) को मुख्यमंत्री बनाए जाने से हुई थी. कमलनाथ सरकार के 15 महीने के कार्यकाल में कई बार बागी तेवर अपना चुके सिंधिया के भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होने की अटकलें लंबे समय से लगाई जा रही थीं. यह अलग बात है कि वह हमेशा इंकार करते आए. हालांकि होली पर जिस अंदाज में सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों ने बागी तेवर अपनाए, उससे साफ हो गया था कि वह भी अपने पिता माधवराज सिंधिया के रास्ते पर चलते हुए बीजेपी से हाथ मिलाने जा रहे हैं.

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बीजेपी ने हिलाई कांग्रेस की जड़ें
एक लिहाज से देखें तो बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने पाले में कर मध्य प्रदेश में कांग्रेस की जड़ें हिला दी हैं. सिंधिया गुट के 19 विधायकों के इस्तीफे के बाद यह तय हो गया है कि कांग्रेस की सरकार गिर जाएगी. कांग्रेस नेता लक्ष्मण सिंह के बयान से इसे समझा भी जा सकता है. उन्होंने कहा, 'मध्य प्रदेश के सियासी नाटक का पटाक्षेप अब हमें विपक्ष में बैठने के लिए तैयार रहना चाहिए. भविष्य में, कांग्रेस फिर से सरकार बनाएगी. मुझे नहीं लगता कि नंबर गेम का कोई ज्यादा मतलब होगा. हम मुख्यमंत्री से मिलेंगे और इस पर चर्चा करेंगे.' जाहिर है 19 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होते ही विधानसभा की स्ट्रेंथ सिर्फ 209 विधायकों की बचेगी और बहुमत के लिए सिर्फ 105 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता होगी.

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विधानसभा का गणित
संख्याबल की बात करें तो 230 विधानसभा सीटों वाले मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए 116 विधायकों की जरूरत होती है. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. इस चुनाव में कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं, हालांकि वह बहुमत के आंकड़े से दो सीट दूर रह गई थी. वहीं, भाजपा को 109 सीटें मिली थीं. इसके अलावा निर्दलीय को चार, बसपा को दो सीटें और सपा को एक सीट मिली थी. मध्य प्रदेश में चुनाव परिणाम के बाद चार निर्दलीय, सपा के एक और बसपा ने एक विधायक ने कांग्रेस को समर्थन देने का एलान किया था. ऐसे में कमलनाथ को बहुमत से चार ज्यादा यानी 120 विधायकों का समर्थन प्राप्त है, लेकिन कमलनाथ सरकार में शामिल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के विधायक अक्सर कांग्रेस से अपनी नाराजगी जाहिर करते भी दिखाई दिए हैं.

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भाजपा बना लेगी सरकार
2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 109 सीटें मिली थीं, लेकिन अभी विभिन्न कारणों से भाजपा की सदस्य संख्या घटकर 107 हो गई है. अगर कांग्रेस के बागी विधायक पार्टी के खिलाफ हो चुके हैं तब दल बदल कानून के हिसाब से उनकी सदस्यता खत्म हो जाएगी. अब जबकि कमलनाथ सरकार के 20 विधायकों ने इस्‍तीफा दे दिया हैं तो ऐसे में भाजपा को सरकार बनाने में कोई मुश्किल नही होगी. अगर कमलनाथ सरकार से केवल पांच विधायक भी टूटते तो कमलनाभ सरकार आराम से गिर जाती. पहले से ही भाजपा के पास कांग्रेस के तीन और एक निर्दलीय विधायक है. ऐसे में हर हाल में मध्‍य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनती दिख रही है.