भोपाल में पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के निजी सचिव के घर पर EOW का छापा, कई चीजें बरामद
मध्य प्रदेश के ई-टेंडरिंग घोटाला मामले में पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक नरोत्तम मिश्रा के ऊपर शिकंजा कसता ही जा रहा है.
नई दिल्ली:
मध्य प्रदेश के ई-टेंडरिंग घोटाला मामले में पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक नरोत्तम मिश्रा के ऊपर शिकंजा कसता ही जा रहा है. नरोत्तम मिश्रा के निजी सचिव वीरेंद्र पांडे की गिरफ्तारी के बाद अब उनके घर पर छापा मारा गया है. वीरेंद्र पांडे के शास्त्री नगर स्थित शासकीय मकान में पुलिस की विशेष आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) की टीम ने छापेमारी की है. बंद कमरे में वीरेंद्र पांडे के परिजनों से पूछताछ की गई है. बताया जा रहा है कि नरोत्तम मिश्रा के निजी सचिव वीरेंद्र पांडे के सरकारी आवास पर आज सुबह EOW की टीम छापेमरी करने पहुंची. 3 से 4 गाड़ियों में करीब 8 से 10 अधिकारी वहां पहुंचे.
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कई घंटों तक वीरेंद्र पांडे के घर पर छानबीन की गई. इस दौरान उनके परिजनों से बंद कमरे में EOW की टीम पूछताछ की. तलाशी पूरी होने के बाद EOW की टीम वहां से कई अहम दस्तावेज सूटकेस में लेकर निकली. कहा जा रहा है कि वीरेंद्र पांडे के घर से EOW टीम को कई चीजें बरामद हुई है. उनके प्रिंटर को भी जब्त किया गया है. हालांकि जब News State ने EOW अधिकारियों ने जानकारी लेने की कोशिश की तो उन्होंने कुछ नहीं बताया. अधिकारी इस छापेमारी को लेकर कुछ भी कहने से बचते नजर आए.
माना जा रहा है कि अब ईओडब्ल्यू की टीम अब पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के करीबी निर्मल अवस्थी के ठिकानों पर भी छापेमारी कर सकती है. खुद बीजेपी विधायक नरोत्तम मिश्रा भी ईओडब्ल्यू के शिकंजे में कसते नजर आ रहे हैं. कहा जा रहा है कि इस घोटाले में ईओडब्ल्यू की टीम नरोत्तम मिश्रा से भी पूछताछ कर सकती है. हालांकि इसकी कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई है.
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बता दें कि इससे पहले शुक्रवार को ईओडब्ल्यू के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य में जल संसाधन विभाग के टेंडरों में हुई छेड़छाड़ और गड़बड़ी के मामले में इन दोनों की गिरफ्तारी हुई है. हालांकि इस मामले में ईओडब्ल्यू उनसे कई बार कई बार पूछताछ कर चुकी थी. सूत्रों के मुताबिक, पिछली शिवराज सरकार के कार्यकाल के दौरान ई-टेंडरिंग में लगभग 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले की आंशका है. बता दें कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान अपने वचन पत्र में ई-टेंडरिंग घोटाले की जांच और दोषियों को सजा दिलाने का वादा किया था. बाद में मध्य प्रदेश की सत्ता संभालने पर इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी गई थी.
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