छिंदवाड़ा: परिवार के 5 सदस्य बीमार हुए तो इलाज के बजाए मिला सामाजिक बहिष्कार
छिंदवाड़ा जिले के परासिया क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम लीखावाड़ी में गांव के लोगों ने एक ही परिवार के बुजुर्ग, उसकी पत्नी, बहू और नाती व नातिन के एक साथ बीमार होने पर अघोषित बहिष्कार कर दिया है.
highlights
- इलाज न मिलने के कारण घर के सभी सदस्य हुए बीमार
- अंधविश्वास की खबर फैलने के बाद जागा प्रशासन
- तहसीलदार समेत कई अधिकारी पीड़ित परिवार से मिला
छिंदवाड़ा:
यदि आपको कोई एक बंद कमरे मैं रहने के लिए कहे तो आप कितने घंटो तक रह सकते हैं ज्यादा से ज्यादा एक से 3 घंटे तक. लेकिन आपको यदि कोई लगतार कई दिनों तक एक ही कमरे में बंद रखा जाए और बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया जाए तो आप पर क्या बीतेगी. लेकिन एक ऐसा ही हैरान करने वाला गंभीर मामला सामने आया है. जहां ग्रामीणों ने एक परिवार के 5 सदस्यों को बीमारी होने के चलते घर से बाहर निकलने का फरमान जारी कर दिया है.
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ऐसा ही कुछ देखने को मिला है. छिंदवाड़ा जिले के परासिया क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम लीखावाड़ी में गांव के लोगों ने एक ही परिवार के बुजुर्ग, उसकी पत्नी, बहू और नाती व नातिन के एक साथ बीमार होने पर अघोषित बहिष्कार कर दिया है. परिवार के एक पुरुष को छोड़कर सभी सदस्यों को घर से बाहर न निकलने का फरमान जारी कर दिया गया है.
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सामजिक निर्णय के अनुसार अब परिवार के लोगो को धार्मिक और पड़िहार की मान्यताओं के अनुसार शुद्धिकरण करने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा. ढाई दिन के बाद ही लोग मिल सकेंगे. जांच में सामने आया की लीखावाड़ी निवासी केवल यदुवंशी (60) जिन्हे दमा है.
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उनकी पत्नी तुलसा बाई (55) लम्बे समय से बिस्तर पर सोए होने के कारण बेडशूल से पीड़ित हैं और वृद्धा के शरीर और घाव पर गंदगी हो गई थी. वहीं केवल का नाती एवं नातिन सहित बहु को भी गंभीर बीमारी ने पकड़ लिया था जिसके बाद दोनों बच्चों का इलाज निजी हॉस्पिटल में चल रहा है.
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इस क्षेत्र में यदुवंशी समाज के लोग ज्यादा निवास करते हैं जिनका कहना है की यह देवताओं का प्रकोप है. इसलिए उन्हें अंदर बंद कमरे में रखा जाए और इनका मुंह न देखे. समाज का पडिहार आकर स्वयं गेट खोलेगा और बुजुर्ग का नदी में जाकर शुद्धिकरण किया जायेगा. इस अंधविश्वास की खबर लगते ही परासिया के तहसीलदार वीर बीएम दुर्वे एवं डॉ सुधा बक्शी मौके पर पहुंची और जानकारी ली गई.
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पीड़ितों को देखा गया और इलाज के लिए परिजनों को अस्पताल भिजवाने की व्यवस्था की गई. ज्ञात हो की लीखावाड़ी गांव में 15 साल में तीसरी घटना है. इससे पहले भी दो लड़कियों को सामजिक बहिष्कार की समस्या से जूझना पड़ा था उस दौरान पीड़िता को गांव से बाहर खेत में झोपड़ी बनाकर रहना पड़ा था.
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