कृषि टैक्स को लेकर कारोबारियों में आक्रोश, विरोध में दुकानें अनिश्चितकाल के लिए बंद
झारखंड में कृषि टैक्स को लेकर विरोध जारी है. इस बीच व्यापारियों ने चैम्बर ऑफ कॉमर्स की अगुवाई में अनिश्चितकालीन खाद्यान्न दुकानों बंद कर दिया.
highlights
- कृषि टैक्स को लेकर कारोबारियों में आक्रोश
- कानून के विरोध में दुकानें अनिश्चितकाल के लिए बंद
- सरकार पर धोखाधड़ी का आरोप
Ranchi:
झारखंड में कृषि टैक्स को लेकर विरोध जारी है. इस बीच व्यापारियों ने चैम्बर ऑफ कॉमर्स की अगुवाई में अनिश्चितकालीन खाद्यान्न दुकानों बंद कर दिया. धनबाद, बोकारो, जमशेदपुर, गोड्डा और गुमला के साथ-साथ प्रदेश के तमाम जिलों में कृषि टैक्स के खिलाफ विरोध जताते हुए दुकानों को बंद किया गया. आपको बता दें कि झारखंड सरकार ने कृषि बाजार समिति टैक्स लागू किया है. इसके जरिए कृषि बाजार शुल्क के रूप में 2% टैक्स वसूलने की तैयारी की जा रही है, लेकिन टैक्स लागू होने से लोगों को अनाज महंगे दर पर मिलेगा और व्यापारियों को भी नुकसान होगा. जिसको लेकर आक्रोश है.
जनता का परेशानियों से सामना
धनबाद में खाद्यान दुकानों के बंद होने से जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ा. सुबह से ही बाजार समिति और चेम्बर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारियों की टोलियां बाजार में बंद के समर्थन के लिए घूमती नजर आईं. इस दौरान कई दुकानदारों के साथ बंद समर्थकों की बहस भी देखने को मिली. थोक दुकानों में न कहीं से आवक हुआ और न ही यहां से माल भेजा गया. कुछ किराने की दुकानें को छोड़ अधिकांश दुकाने खुली दिखी. वहीं, आलू-प्याज और फल-सब्जी कारोबार अन्य दिनों की तरह सुचारू दिखा.
बोकारो में कृषि टैक्स को लेकर विरोध
बोकारो में भी अनाज व्यापारियों ने दुकानों को पूरी तरह बंद कर दिया. चास का कृषि बाजार समिति,सदर बाजार और साहू मार्केट की दुकानें बंद रही. वहीं, व्यवसायियों ने डीसी कार्यालय के सामने धरना दिया. विधायक बिरंची नारायण के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने डीसी को ज्ञापन भी सौंपा. धरने में शामिल स्थानीय बीजेपी विधायक बिरंची नारायण ने कहा कि यह सरकार व्यवसायी किसान विरोधी है. सरकार से आग्रह है कि इस बिल को खत्म कर व्यवसायियों को राहत दे. उन्होंने कहा कि पूर्व की बीजेपी सरकार ने 1 परसेंट को खत्म किया था, लेकिन यह सरकार 2 प्रतिशत चार्ज कर व्यवसाय को बिगाड़ने का काम की है.
जमशेदपुर के सभी बाजारों में पसरा सन्नाटा
जमशेदपुर में बंदी का खास असर देखने को मिला. जहां व्यवसायिक संगठनों की अपील के बाद शहर के सभी दुकान बंद रही. इतना ही नहीं, इस बंदी को दिहाड़ी दुकानदारों ठेले और रेहड़ी वालों का भी समर्थन मिला. वहीं, दूसरी तरफ सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से मुलाकात कर मांग पत्र सौंपा और इस कानून को खत्म करने की मांग की. बंद समर्थकों ने साफ तौर पर कहा कि सरकार से फरमान वापस लेने तक विरोध जारी रहेगा. व्यवसायियों ने बताया कि इस अतिरिक्त कर से महंगाई बढ़ेगी और छोटे व्यापारियों को इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा. कृषि उत्पादन बाजार समिति से जुड़े तमाम कारोबारियों और उसपर आश्रित ठेले- रेहड़ी वालों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. व्यवसायियों ने सरकार से अविलंब इस निर्णय को वापस लेने की मांग की.
गुमला में भी दिखा बंदी का असर
बंदी का असर गुमला में भी दिखा. जहां तमाम अनाजों के दुकानों में ताला लटका मिला. इस दौरान कारोबारियों का कहना था कि जब तक सरकार कृषि टैक्स कानून वापस नहीं लेती. तब तक विरोध जारी रहेगा. चेम्बर के सदस्यों ने कहा कि अगर सरकार विधेयक को वापस नही लेती है तो बंदी अनिश्चित कालीन होगी. वहीं, व्यपारियों ने कहा कि अभी चुकी शादिबक समय है ऐसे में लोगो को काफी परेशानी भी हो रही है, लेकिन दुकानों को बंद रखने व्यपारियों का उद्देश्य लोगों को परेशान करना नहीं है सरकार द्वारा लिए गए गलत फैसले को वापस करवाने की मांग है.
गोड्डा में बड़े-बड़े मॉल्स भी बंद
गोड्डा के बाजारों में भी बंद का असर दिखा. यहां बड़े-बड़े मॉल्स भी बंद दिखे. चैम्बर के सदस्यों की माने तो आज पहला दिन था, अगर सरकार जल्द कोई फैसला नहीं लिया तो आने वाले दो से तीन दिनों में स्थिति बदतर होने लगेगी. अनिश्चितकालीन बुलाए गए इस हड़ताल के पहले दिन सभी दुक्नदारों में एकता देखने को मिली. यहां तक कि रिलायंस मार्ट जैसे प्रतिष्ठान भी चैम्बर के आग्रह पर बंद कर रखा गया.
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