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गृह मंत्री अमित शाह ने दिए जम्मू-कश्मीर से AFSPA हटाने के संकेत, घाटी के लोगों को होंगे ये फायदे

AFSPA: केंद्र सरकार आने वाले दिनों में जम्मू-कश्मीर से सशस्त्र बल (विशेष शक्ति) अधिनियम यानी AFSPA को हटा सकती है. जिसके संकेत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिए हैं.

Updated on: 27 Mar 2024, 12:56 PM

नई दिल्ली:

AFSPA: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद केंद्र सरकार ने देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) भी लागू कर दिया. अब मोदी सरकार घाटी से सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम यानी AFSPA को भी रद्द कर सकती है. इसे लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संकेत हुए. एक इंटरव्यू के दौरान गृह मंत्री शाह ने कहा कि केंद्र सरकार AFSPA को रद्द करने पर विचार करेगी. साथ ही सरकार जम्मू-कश्मीर से सैनिकों को वापस बुलाने की भी योजना बना रही है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसके बाद कानून व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवाले किया जाएगा. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर अफस्पा है क्या और इसको हटाने से जम्मू-कश्मीर के लोगों को क्या फायदा होगा.

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लंबे समय से हो रहा है घाटी में AFSPA का विरोध

बता दें कि जम्मू कश्मीर में AFSPA का लंबे समय से विरोध होता रहा है. तमाम राजनीतिक दलों के साथ-साथ घाटी के लोग भी जम्मू कश्मीर में सेना मिले विशेष अधिकारों को हटाने की मांग करते रहे हैं. उनका आरोप है कि इन अधिकारों का कई बार दुरुपयोग भी हुआ है. अफस्पा के चलते फर्जी एनकाउंटर भी हुए हैं. वही हाल ही में राजौरी में चार युवाओं की कस्टडी में हुई मौत से भी मामला गर्मा गया.

ये हैं AFSPA को हटाने की वजह

केंद्र में जब भी किसी भी दल की सरकार बनी तो उसने यही कहा कि जम्मू कश्मीर से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) को नहीं हटाया जा सकता है. क्योंकि वहां हालात ठीक नहीं हैं. लेकिन 2019 के बाद से घाटी में हालात सुधरे  हैं और इसके आंकड़े भी संसद में भी पेश किए हैं. गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस में गुणात्मक बदलाव आया है और अब वह सभी ऑपरेशन में सबसे आगे हैं. हालांकि पहले ये सेना और केंद्रीय बलों के हाथ में था. शाह ने कहा कि चुनाव के बाद हम निश्चित रूप से कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी पूरी तरह से जम्मू-कश्मीर पुलिस को सौंप देंगे. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य होने के साथ ही वहां सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) की समीक्षा पर भी विचार किया जाएगा.

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घाटी में कम हुआ आतंकवाद

केंद्र सरकार का मानना है कि जम्मू कश्मीर में आतंकियों का मूवमेंट कम हुआ है. आंकड़ों के मुताबिक, घाटी में आतंकवाद के मामलों में 80 फीसदी की कमी आई है. पत्थरबाजी की घटनाएं पूरी तरह से रुक गई हैं. बंद, प्रदर्शन और हड़तालें भी समाप्त हो गई हैं. गृह मंत्री ने कहा, 2010 में घाटी में पथराव की 2564 घटनाएं हुई थीं जो अब शून्य हो गई हैं. 2004 से 2014 तक 7217 आतंकी घटनाएं हुईं. जो 2014 से 2023 तक यह घटकर 2227 पर आ गई हैं. 

AFSPA हटाने से मिलेगी राहत?

बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया. यही नहीं सरकार ने घाटी को लेकर जो रणनीति बनाई थी उसमें भी सफलता मिली. घाटी के हालत बदले और यहां शांति आई. युवाओं में पढ़ाई-लिखाई का क्रेज बढ़ा और नौकरी के लिए भी युवाओं में आकर्षण पैदा हुआ. श्रीनगर में हुई पीएम मोदी की रैली में भी उन्होंने ये बात कही थी.

क्या है सरकार का अगला प्लान?

लोकसभा चुनाव के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे. जिन्हें 30 सितंबर से पहले करा लिया जाएगा. विधानसभा चुनाव के बाद यहां से AFSPA को हटाकर सेना की तैनाती को भी कम किया जाएगा. इसके पीछे की वजह जम्मू कश्मीर पुलिस का पिछले दो दशकों में विकसित होना है. जो अब देश की सबसे बेहतरीन पुलिस फोर्स में गिनी जाती है. आतंकवादियों के खिलाफ अभियान चलाना हो या फिर घाटी में शांति बहाली करनी हो, हर मोर्चे पर यहां की पुलिस मजबूत हुई है. इसी के चलते सरकार अब घाटी से सेना को कम करने पर विचार कर रही है.

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जानिए क्या है अफस्पा?

AFSPA एक ऐसा अधिनियम है जिसे देश के अशांत इलाकों में लागू किया जाता है. इस अधिनियम के लागू होने के बाद सुरक्षा बलों के पास बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार होता है. इसके साथ ही कई मामलों में सुरक्षाबल बल प्रयोग भी कर सकते हैं. जम्मू-कश्मीर में जब 1989 में आतंकवाद बढ़ने लगा तो यहां 1990 में AFSPA लागू कर दिया गया. 

AFSPA से सेना को मिले हैं ये विशेषाधिकार

किसी भी इलाके में अफस्पा लागू होने से सुरक्षाबल किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं. वहीं कानून का उल्लंघन करने वाले को चेतावनी देने के बाद बल प्रयोग के साथ गोली चलाने की भी अनुमति होती है. इसके साथ ही सुरक्षाबल किसी भी घर या परिसर की तलाशी ले सकते हैं. साथ ही जरूरत पड़ने पर बल प्रयोग भी कर सकते हैं. संदेह होने पर भी सुरक्षाबल किसी घर या बिल्डिंग को तबाह कर सकते हैं. वाहनों को रोककर उनकी तलाशी करने का भी उन्हें अधिकार होता है. साथ ही बिना केंद्र सरकार की मंजूरी के उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया जा सकता.

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