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अमित शाह की अध्यक्षता वाला मंत्री समूह शत्रु संपत्तियों के निपटारे की निगरानी करेगा

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाला मंत्री समूह 9,400 से अधिक शत्रु संपत्तियों के निपटारे की निगरानी करेगा. इससे करीब एक लाख करोड़ रुपये का राजस्व आने की संभावना है.

Updated on: 23 Jan 2020, 02:42 PM

दिल्ली:

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाला मंत्री समूह 9,400 से अधिक शत्रु संपत्तियों के निपटारे की निगरानी करेगा. इससे करीब एक लाख करोड़ रुपये का राजस्व आने की संभावना है. आधिकारिक आदेश के अनुसार, शत्रु संपत्ति कानून के तहत भारत के शत्रु संपत्ति संरक्षक विभाग के अंतर्गत आने वाली अचल शत्रु संपत्तियों के निस्तारण के लिए दो अन्य उच्चस्तरीय समितियां भी गठित की जाएंगी. एक समिति का नेतृत्व मंत्रिमंडल सचिव राजीव गौबा और अन्य की सह-अध्यक्षता केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला करेंगे. शत्रु संपत्तियां वे संपत्ति हैं जो उन लोगों ने छोड़ी हैं जिन्होंने पाकिस्तान या चीन की नागरिकता ले ली है.

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आदेश में कहा गया है कि शत्रु संपत्तियों के निपटारे के लिए अंतर-मंत्रालयी समूह गठित किया जाएगा और इसकी सह-अध्यक्षता केंद्रीय गृह सचिव और निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव करेंगे. गृह मंत्रालय, आर्थिक मामलों के विभाग, व्यय विभाग, सार्वजनिक उपक्रम विभाग, विधि विभाग, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के प्रतिनिधि अंतर-मंत्रालयी समूह के सदस्य होंगे. आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव, राजस्व विभाग के सचिव, व्यय विभाग के सचिव, सार्वजनिक उपक्रम विभाग के सचिव, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के सचिव, विधि विभाग के सचिव, शहरी विकास सचिव, केंद्रीय गृह सचिव और निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव और मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता में परिसंपत्तियों को बेचने पर सचिवों के कोर समूह का गठन किया जाएगा.

आदेश में कहा गया है कि केंद्र सरकार गृह मंत्री शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के तहत वैकल्पिक तंत्र का गठन कर सकती है. भारत में पाकिस्तान के नागरिकों की 9,280 संपत्तियां और चीन के नागरिकों की 126 संपत्तियां हैं.

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पाकिस्तान के नागरिकों की सबसे ज्यादा 4,991 संपत्तियां उत्तर प्रदेश में हैं. इसके बाद 2,735 संपत्तियां पश्चिम बंगाल और इसके बाद 487 दिल्ली में हैं. वहीं, चीनी नागरिकों द्वारा छोड़ी गई सबसे ज्यादा संपत्तियां मेघालय में हैं जिनकी संख्या 57 है. इनके अलावा 29 पश्चिम बंगाल और असम में सात हैं.