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दिल्ली में चल रहा था फर्जी पासपोर्ट सेवा केंद्र, 100 से ज्यादा लोगों से करोड़ों रुपए की ठगी

यह गैंग नकली पासपोर्ट और वीजा थमाकर 100 से ज्यादा लोगों से करोड़ों रुपए की ठगी कर चुका है, जिनमें ज्यादातर नेपाली हैं. यह गैंग करीब 2 साल से एक्टिव था.

Updated on: 18 Sep 2019, 07:04 PM

highlights

  • नेपालियों को कनाडा, ब्राजील, यूके भिजवाने का सब्जबाग दिखाकर भारत बुलाते
  • यहां नकली पासपोर्ट और वीजा थमाकर करोड़ों की ठगी, गैंग के आठ गिरफ्तार
  • फर्जी वीजा पर मोनोग्राम और लाइट डालने पर कलर कोड भी नजर आते थे

नई दिल्‍ली:

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की क्राइम ब्रांच (Crime Branch) ने एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है, जो अपने आप में एक ''पासपोर्ट सेवा केंद्र'' (Passport Seva Kendra) बन चुका था. कई तरह की मशीनों के जरिए हूबहू असली नजर आने वाला पासपोर्ट  (Passport ) और वीजा (Visa) तैयार कर देता था. पुलिस ने इस गैंग की पूरी चैन को गिरफ्त में लेने का दावा किया है, कुल 8 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं. पुलिस की माने तो यह गैंग नकली पासपोर्ट और वीजा थमाकर 100 से ज्यादा लोगों से करोड़ों रुपए की ठगी कर चुका है, जिनमें ज्यादातर नेपाली हैं. यह गैंग करीब 2 साल से एक्टिव था.

इस खुलासे के साथ क्राइम ब्रांच (Crime Branch) ने एक बात साफ कर दी है कि इस गैंग के बनाएं नकली पासपोर्ट और वीजा के जरिए कोई इमीग्रेशन नहीं हुआ. इनका इस्तेमाल सिर्फ टारगेट से ठगी में किया जाता था. क्राइम ब्रांच (Crime Branch) के डीसीपी राजेश देव ने बताया कि इस गैंग के बारे में नेपाल एंबेसी से भी इनपुट मिले थे. उन्होंने बताया था कि दिल्ली व आसपास के राज्यों में एक ऐसा गैंग एक्टिव है जो नेपाली लोगों को विदेशों में भिजवाने के नाम पर बड़ी ठगी कर रहा है.

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अभी तक क्राइम ब्रांच (Crime Branch) के सामने तीन शिकायतकर्ता आ चुके थे, जिन से मिली जानकारी के आधार पर सबसे पहले इस गैंग के प्रमुख मेंबर जितेंद्र मंडल को गिरफ्तार किया गया. उसे पूछताछ के चलते पूरी चैन पुलिस के हाथ आ गई. गैंग में सभी लोगों का अलग-अलग काम था. कुछ शिकार तलाश थी और डील करते थे. कुछ नकली पासपोर्ट और वीजा की प्रिंटिंग में इन्वॉल्व थे.

ठगी का तरीका

यह लोग शिकार को कनाडा ब्राजील यूके जैसे देशों में भिजवाने का वायदा करते. एडवांस के तौर पर उसे जो रकम लेते, उसके बदले में उसे व्हाट्सएप एप्लीकेशन पर सैंपल वीजा भेज देते, जिस पर बकायदा मोनोग्राम तक लगा होता था. इस राशि कार उनके भरोसे में आता जाता, और वह उससे धीरे-धीरे रकम ऐंठते रहते. इस बीच टारगेट को भारत भी बुलाया जाता. यहां उसका बकायदा मेडिकल करवाते, वीजा की ओरिजिनल कॉपी दिखा देते. वीजा हैंड ओवर करने से पहले पूरी रकम ले लेते. उसके बाद संपर्क खत्म कर देते. फोन नंबर स्विच ऑफ कर देते. ठगी का शिकार शख्स उनकी तलाश में नेपाल और भारत के बीच भटकता रह जाता.

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डीसीपी राजेश के मुताबिक जिन तीन शिकायत करता हूं नहीं पुलिस से संपर्क किया, उनसे यह गैंग 15 लाख रुपए ले चुका था. मुख्य आरोपियों में जितेंद्र मंडल के अलावा प्रदीप और विपिन व मंजीत शामिल है. मनजीत के पास से कई तरह की मशीनें रिकवर हुई है, जिनके जरिए नकली पासपोर्ट और वीजा बनाए जाते थे. पूरी मशीनों से फर्जी स्टांप लगाने का काम भी होता था.

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पूछताछ में पता चला है कि यह लोगों से इस्तेमाल में ना आने वाले पासपोर्ट भी खरीद लेते थे. उनकी सिलाई खोलकर पहला पन्ना बदल देते. यह गैंग अपने आप में एक तरह का पासपोर्ट सेवा केंद्र था, जिसके फर्जीवाड़े की वजह से नेपाली दूतावास भी हैरान परेशान था. पिछले 2 साल से नेपाल के लोगों को भारत बुलाकर लगातार ठगा जा रहा था.