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अपराध और भ्रष्टाचार पर लगाना होगा लगाम, तब बिहार में आएंगे निवेशक- विजय सिन्हा

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजय कुमार सिन्हा ने ग्लोबल इन्वेस्टर समिट को लेकर बिहार सरकार पर निशाना साधा.

Updated on: 13 Dec 2023, 08:21 PM

highlights

  • विजय सिन्हा का बड़ा बयान
  • कहा- राज्य में अपराध पर लगाना होगा लगाम
  • अपराध की वजह से नहीं आए निवेशक

Patna:

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजय कुमार सिन्हा ने ग्लोबल इन्वेस्टर समिट को लेकर बिहार सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि उद्योग विभाग द्वारा आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में देश के बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों और अंतराष्ट्रीय स्तर पर कारोबार में लगे भारत के आई.टी इंडस्ट्री के लोगों की अनुपस्थिति से यह स्पष्ट हो गया है कि जबतक बिहार को अपराध और भ्रष्टाचार मुक्त नहीं बनाया जायेगा, राज्य में निवेशक नहीं आयेंगे. आगे उन्होंने कहा कि राज्य में औद्योगिक प्रोत्साहन नीति की शुरुआत और अनेक बदलाव के बाद ही लैंड बैंक की स्थापना नहीं हो पायी है. 

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ग्लोबल इन्वेस्टर समिट सफल बनाने के लिए पहले अपराध और भ्रष्टाचार पर लगाना होगा लगाम

18 वर्षों के नीतीश शासन काल में नहीं मिला बड़े कंपनी को उद्योग हेतु जमीन 

आद्योगिक विकास प्रोत्साहन नीति में बार-बार बदलाव के बावजूद नहीं बना लैंड बैंक, बिना जमीन के कई बड़े उद्योग नहीं आ सके बिहार

उद्योग को राज्य में लाने के नाम पर महकमा कर रहा है सरकारी खर्चे पर देश के अंदर और बाहर की यात्रा, अबतक के खर्चे पर श्वेत पत्र जारी करें सरकार

सरकार कोई भी हो, औद्योगिक निवेश की नीति में रहे एकरूपता

राज्य के लोग जानते हैं कि राज्य के मुखिया ने राज्य में उद्योग धंधा को प्राथिमकता सूची में नहीं रखा है. सार्वजनिक मंच पर भी उन्होंने राज्य को उद्योग के परिस्थितियों के अनुरूप नहीं माना है. 18 वर्षों के इनके शासन काल में किसी बड़े औद्यौगिक घरानों अथवा कंपनी को जमीन नहीं दी गयी. जब टाटा बंगाल से नैनो फैक्ट्री हटा रहा था, बिहार के पास एक मौका था. वहीं, गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री, अभी प्रधानमंत्री ने 1 रुपये के मुल्य पर टाटा को जमीन उपलब्ध कराने का हुक्म दिया. फलस्वरूप आज उस कंपनी से हज़ारों करोड़ का राजस्व गुजरात को मिल रहा है. 

राज्य का सब्सिडी के माध्यम से दोहन

आगे विजय सिन्हा ने कहा कि राज्य में एनडीए शासन काल में जो निवेशक आये थे, वही अभी राज्य में बने हुए हैं. उसमें भी महागठबंधन सरकार बनने के बाद कई पलायन कर गये. अब सरकार के कुछ चहेते निवेशक उद्योग के नाम से राज्य का सब्सिडी के माध्यम से दोहन कर रहे हैं. उद्योग महकमा के लिये निर्धारित प्रत्येक साल निवेशक सम्मलेन पिकनिक का जरिया बन गया है. मंत्री और अधिकारी गण देश के अंदर और बाहर सरकारी खर्चे पर घूम रहे हैं. अबतक के खर्चे पर सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए. सरकार कोई भी हो ओद्योगिक नीतियों में एकरूपता और निरंतरता रहनी चाहिए ताकि निवेश प्रभावित ना हो, निवेशक की सुरक्षा पहली प्राथमिकता हो.