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इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, RJD नेता ने बताया BJP को झटका

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड को रद्द कर दिया है. इसकी जानकारी वोर्टस को ना देना सूचना के अधिकार का उल्लंघन है.

Updated on: 15 Feb 2024, 06:56 PM

highlights

  • इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
  • RJD नेता ने बताया BJP को झटका
  • बीजेपी को सबसे ज्यादा चंदा

Patna:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि काले धन पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से इसकी जानकारी वोर्टस को ना देना सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. इसके साथ ही यह अभिव्यक्ति की आजादी का भी उल्लंघन है. पांच जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को आर्थिक मदद से उसके बदले में कुछ और प्रबंध करने की व्यवस्था को भी बढ़ावा मिल सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर इलेक्शन कमीशन को भी सख्त निर्देश दिया है और 13 मार्च तक 2019 से लेकर अभी तक सभी पार्टियों को मिले चंदे की जानकारी वेबसाइट पर शेयर करने को कहा गया है.

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इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला

काले धन पर अंकुश का एकमात्र विकल्प इलेक्टोरल बॉन्ड नहीं है. इसके कई अन्य विकल्प भी हैं. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए पैसे इकट्ठा करने वाली सरकारी बैंक को भी 6 मार्च, 2024 तक इलेक्शन कमीशन को सारी जानकारी देने को कहा है और इलेक्शन कमीशन को 13 मार्च, 2024 तक सभी पार्टियों को मिले चंदे की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा है. जिससे यह पता चल पाएगा कि किस पार्टी को किस व्यक्ति या कंपनी ने कितना चंदा दिया है. 

बीजेपी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिला सबसे ज्यादा चंदा

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आरजेडी विधायक ऋषि कुमार ने कहा कि बीजेपी को सबसे ज्यादा फंड मिलता है और यह जगजाहिर है. सुप्रीम कोर्ट का निर्णय बीजेपी के ऊपर तगड़ा प्रहार है और इससे बीजेपी को झटका लगा है. हमलोगों को इससे कोई नुकसान नहीं है. बीजेपी के जिले के कार्यालय भी फाइव स्टार होटलों को फेल कर देते हैं. 

वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मदन सहनी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि बड़े-बड़े लोग राजनीतिक दलों को चंदा देते हैं और इसे सावर्जनिक करने को कहा गया है तो इसमें कहीं कोई परेशानी नहीं है.