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Bihar Flood : तस्वीरों में देखें, बद् से बद्तर हालात में जीने को मजबूर हैं लोग, नहीं मिल रहा खाना

15 हजार से अधिक घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है. इसमें सबसे अधिक तबाही निर्मली अनुमंडल स्थित मरौना प्रखंड के लोग झेल रहे हैं.

Updated on: 14 Jul 2019, 03:02 PM

Patna/Supaul:

बिहार के सुपौल में कोसी नदी तांडव मचा रही है. अब तक सुपौल जिले के लगभग 50 हजार परिवार के लोग प्रभावित हो चुके हैं. 15 हजार से अधिक घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है. इसमें सबसे अधिक तबाही निर्मली अनुमंडल स्थित मरौना प्रखंड के लोग झेल रहे हैं. मरौना प्रखंड में कोसी तटबंध के भीतर बसे 5 हजार से अधिक लोग घर में पानी घुसने के बाद खाने-पीने तक को तरस रहे हैं.

वहीं, निर्मली नगर में उत्तरी रिंग बांध के पास पानी बाहर निकालने के लिए बने स्लुइस गेट होकर तिलयुगा नदी से उलटे बाढ़ का पानी शहर में घुस रहा है. शहर के कई वार्डों में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है. शहर में तेजी से बाढ़ का पानी घुसने से लोग दहशत में हैं.

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शनिवार की रात से ही काफी संख्या में लोग स्लुइस गेट के पास जगे रहे. लेकिन जलसंसाधन विभाग के द्वारा निरोधात्मक कार्य में भारी लापरवाही बरती जा रही है. लिहाजा शहर में पानी घुसने का शिलशिला जारी है. इधर, सुपौल के किशनपुर, सरायगढ़-भपटियाही, सुपौल सदर में भी कोसी नदी तबाही मचा रही है. निर्मली-मरौना मुख्य सड़क संपर्क भी ध्वस्त हो गया है. दरअसल शनिवार की रात 9 बजे कोसी नदी का डिस्चार्ज फिलहाल 3 लाख 71 हजार से अधिक रहा और जल प्रलय की तस्वीर रविवार की सुबह से ही सामने आने लगी.

अब सुपौल के बाद पड़ोसी जिला सहरसा, मधेपुरा व अन्य जिले के लोग भी प्रभावित होंगे. तिलयुगा नदी से सलुइस गेट होकर निर्मली शहर में बाढ़ का पानी न घुसे, इसे लेकर अभी भी वहां रेस्क्यू किया जा रहा है. इसमें भी विभाग बड़ी लापरवाही कर रहा है, दरअसल निर्मली शहर के वार्ड 12 स्थित तिलयुगा नदी के कटाव को रोकने के लिए लोहा पुल के समीप जिन मिट्टी भरे बोरियां रखे गए थे, उसे ही उठवा कर जल संसाधन विभाग स्लुइस गेट में डलवा रहा है.

उधर, अत्यंत बाढ़ प्रभावित मरौना प्रखंड के सिसौनी, घोघरड़िया सहित अन्य पंचायतों में प्रशासनिक स्तर पर एनडीआरएफ की टीम को भी लाया गया है. बहरहाल कोसी नदी में फंसे हजारों लोगों को बाहर निकाला जा रहा है.

बता दें कि जल प्रलय से सहमे लोग निजी व सरकारी नाव से घरों में बच्चे जरूरी सामान रविवार की दोपहर 12 बजे तक लाते दिखें, प्रभावित इलाके के लोगों के चेहरे पर मायूसी है. अधिकांश बच्चे-बुजुर्ग भूखे-प्यासे जहां-तहां ऊंचे स्थान की ओर पलायन कर रहे हैं.