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बिहार में 33 हजार से अधिक तालाबों का होगा जीर्णोद्धार

गर्मियों में कई क्षेत्रों में पेयजल की समस्या के मद्देनजर बिहार सरकार ने भूजल स्तर में सुधार के लिए अब तालाबों के संरक्षण का काम प्रारंभ कर दिया है.

Updated on: 21 Jan 2020, 10:09 AM

पटना:

गर्मियों में कई क्षेत्रों में पेयजल की समस्या के मद्देनजर बिहार (Bihar) सरकार ने भूजल स्तर में सुधार के लिए अब तालाबों के संरक्षण का काम प्रारंभ कर दिया है. राज्य सरकार ने जल-जीवन-हरियाली (Jal Jeevan Hariyali) अभियान के तहत अब तक एक लाख, 33 हजार 342 तालाबों की पहचान की है, जिनके पर्यवेक्षण का काम जारी है. इस बीच सरकार ने फैसला किया है कि वह उन सभी 33 हजार से अधिक तालाबों का जीर्णोद्धार करवाएगी. इस अभियान को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) विशेष रूप से चिंतित हैं और वह पूरे राज्य में यात्रा कर लोगों को जल संरक्षण के लिए जागरूक कर रहे हैं.

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आधिकरिक सूत्रों के मुताबिक, 33342 तालाबों की साफ-सफाई और उड़ाही का काम किया जाना है. अभियान की नोडल एजेंसी ग्रामीण विकास विभाग ने जिला अधिकारियों को जल्द ही अन्य तालाबों और पोखरों की पहचान करने के निर्देश दिए हैं. पर्यवेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, 33342 तालाबों में से 30 हजार से अधिक तालाबों में पानी पाया गया है, जबकि 13 हजार ऐसे तालाब भी सामने आए हैं, जिनपर अतिक्रमण है. इनमें 2354 तालाबों पर स्थायी अतिक्रमण हुआ है. सूत्रों का कहना है कि सबसे अधिक रोहतास जिले में 1188 तालाबों पर अतिक्रमण की बात सामने आई है.

उल्लेखनीय है कि सरकार ने पिछले वर्ष अक्टूबर माह में जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत की, जिसका लक्ष्य इन तालाबों को अतिक्रमण से मुक्त कराना और इनका जीर्णोद्धार भी कराना है. इसके अलावा नए सिरे से तालाबों की खुदाई भी होनी है. राज्य सरकार ने इस अभियान के लिए अगले तीन साल में 24 हजार 524 करोड़ रुपये की राशि खर्च करने का लक्ष्य रखा है. इस अभियान के तहत पूरे राज्य के स्थानीय प्रशासन ने अभी तक 1,33,342 तालाबों का पता लगाया है.

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प्रशासन ने अब तक 98 हजार तालाबों का निरीक्षण किया है, जिनमें से सिर्फ 30,970 तालाबों में ही समुचित जलराशि मिली. हालांकि अभी लगभग 35 हजार तालाबों का निरीक्षण किया जाना है. बहरहाल, सरकार ने अभी 33 हजार से अधिक तालाबों के जीर्णोद्धार की योजना बनाई है, जिनके जल संचय की स्थिति बहुत नाजुक है. इनमें से 16 हजार से अधिक तालाबों की उड़ाही मशीनों की मदद से होगी और शेष 17 हजार तालाबों की उड़ाही परंपरागत तरीके से की जाएगी.