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सुप्रीम कोर्ट का आदेश, दिल्ली के निजी स्कूल मर्ज़ी से नहीं बढ़ा सकते फीस, लेनी होगी सरकार से इजाज़त

सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए निजी स्कूलों की याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने उन्हें निर्देश दिया है कि यदि उन्होंने डीडीए से ज़मीन ली है तो वे फीस बढ़ाने से पहले सरकार की अनुमति लें।

Updated on: 23 Jan 2017, 05:51 PM

highlights

  • दिल्ली में करीब 400 निजी स्कूल हैं, जो डीडीए से मिली ज़मीन पर बने हैं
  • केजरीवाल सरकार ने पहले से ही निजी स्कूलों के लिये नियम कड़े कर दिये हैं

नई दिल्ली:

दिल्ली के अभिभावकों के लिये सुप्रीम कोर्ट से एक राहत भरी खबर है। सरकारी ज़मीन पर बने दिल्ली के निजी स्कूल अब सरकार की इजाज़त के बिना फीस नहीं बढ़ा पाएंगे। 

निजी स्कूलों के संगठन की तरफ से फीस बढ़ाने पर रोक संबंधी दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले साल 19 जनवरी को दिए फैसले में कहा था, 'सरकार से मिली ज़मीन पर बने स्कूल अपनी मर्ज़ी से फीस नहीं बढ़ा सकते। ऐसे स्कूल दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 की धारा 17(3) से बंधे हुए हैं। यदि वो फीस बढ़ाते हैं तो दिल्ली सरकार का शिक्षा निदेशालय उनके इस फैसले को रद्द कर सकता है।'

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सोमवार को चीफ जस्टिस जे एस खेहर की बेंच ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ निजी स्कूलों की याचिका पर कड़ा रुख अख्तियार किया और कहा, 'स्कूल या तो नियम मानें या सरकारी ज़मीन छोड़ दें।'

दिल्ली में फीस बढ़ाए जाने को लेकर अभिभावक विरोध करते रहे हैं। इस समय दिल्ली में करीब 400 निजी स्कूल हैं जो डीडीए से मिली ज़मीन पर बने हैं।

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सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद निजी स्कूलों में सरकार के दखल के बढ़ने की संभावना है। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने पहले से ही निजी स्कूलों के लिये नियम कड़े कर दिये हैं।

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