तेजस्वी यादव ने सरकारी बंगला खाली किया, सुप्रीम कोर्ट ने लगाया था 50,000 का जुर्माना
बिहार सरकार ने अपने फैसले में तेजस्वी से पटना में एक बंगले को खाली करने को कहा था, जो उन्हें उप-मुख्यमंत्री रहने के दौरान आवंटित किया गया था.
पटना:
सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका खारिज होने के बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव ने राजधानी पटना में 5 देशरत्न मार्ग स्थित सरकारी बंगला खाली कर दिया. पिछले शुक्रवार को कोर्ट ने बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था. बिहार सरकार ने अपने फैसले में तेजस्वी से पटना में एक बंगले को खाली करने को कहा था, जो उन्हें उप-मुख्यमंत्री रहने के दौरान आवंटित किया गया था.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने 'अदालत का कीमती समय' बर्बाद करने के लिए तेजस्वी पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था. बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता ने पटना हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
पटना हाई कोर्ट ने नीतीश कुमार सरकार के बंगला खाली करने के फैसले को बरकरार रखा था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर तेजस्वी ने कहा था कि वह शीर्ष अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं. वे सरकार की गलत नीतियों के कारण कोर्ट गए थे.
आरजेडी, जेडी(यू) और कांग्रेस के महागठबंधन के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल कर सत्ता में आने के बाद तेजस्वी यादव 20 नवंबर 2015 को बिहार के उप मुख्यमंत्री बने थे. वह जुलाई 2017 तक उप मुख्यमंत्री रहे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ संबंधों तोड़कर बीजेपी से हाथ मिला लिया था. इसके बाद से तेजस्वी यादव विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं.
तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर 6 बंगला रखने का आरोप लगाते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री आवास को भी बहुत सारे बंगले को मिलाकर बनाया गया है. उन्हें इसका जवाब देना चाहिए. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि जनता दल (यूनाइटेड) और पूर्व मंत्रियों ने 10 सरकारी बंगलों पर क्यों कब्जा जमा रखे हैं?
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बीते शनिवार को जारी एक बयान में उन्होंने कहा था, 'सरकारी आवास मामले में अदालत के निर्णय का सम्मान करता हूं. सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ अदालत गया था. नेता प्रतिपक्ष के नाते उसी श्रेणी के बंगले का अभी भी पात्र हूं जो अभी आवंटित है. मेरी लड़ाई सरकार के मनमाने तरीकों के खिलाफ थी. कानूनी दायरे में जो लड़ाई लड़नी थी, हमने लड़ी है और अभी भी सरकार के अनैतिक, पक्षपातपूर्ण और मनमाने रवैये के खिलाफ लोकतांत्रिक लड़ाई लड़ते रहेंगे.
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