Jodhpur Result Live Update: BJP के गजेंद्र सिंह शेखावत ने कांग्रेस के गहलोत को हराया
राजस्थान का ब्लू शहर कहा जाने वाला जोधपुर भी वीआईपी सीट है. राजस्थान की 25 सीटों में से एक जोधपुर लोकसभा सीट पर दो दिग्गज लड़ रहे हैं. बीजेपी की तरफ से गजेंद्र सिंह शेखावत और कांग्रेस की तरफ से वैभव गहलोत प्रत्याशी हैं.
जोधपुर:
राजस्थान (Rajasthan) का ब्लू शहर कहा जाने वाला जोधपुर (Jodhpur Lok Sabha Seat) भी वीआईपी सीट है. राजस्थान की 25 सीटों में से एक जोधपुर लोकसभा सीट (Jodhpur Lok Sabha Seat) पर दो दिग्गज लड़ रहे हैं. बीजेपी (BJP) की तरफ से गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) और कांग्रेस की तरफ से वैभव गहलोत (Vaibhav Gehlot) प्रत्याशी हैं. शेखावत राजनीति में शामिल होने से पहले संघ परिवार से जुड़े थे.
वह सीमा जन कल्याण समिति से भी जुड़े रहे जो भारत-पाकिस्तान की सीमा पर बसे गांवों और कस्बों का विकास करवाती है. 2014 के लोकसभा चुनाव में वह 4,10,051 वोटों के अंतर से जीतकर लोकसभा पहुंचे. अपने कार्यकाल में उन्होंने जोधपुर हवाई अड्डे का विकास करवाया जिसकी मांग पिछले 18 साल से चल रही थी.
2018 में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें वसुंधरा राजे सिंधिया की जगह मुख्यमंत्री के तौर पर देखा जा रहा था. वहीं अगर वैभव गहलोत की बात करें तो वह राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे हैं. लोकसभा चुनाव में दिए गए घोषणा पत्र के मुताबिक उनकी पत्नी हिमांशी के पास 85,000 रुपये नकद हैं. इसके अलावा अलग-अलग बैंक खआतों, बांड. डिबेंचर, शेयर, एनएसएस व गहने के रूप में कुल 95,63,949 रुपये की संपत्ति है. दोनों दिग्गजों की लड़ाई का क्या परिणाम होता यह तो हमें आज पता चलेगा.
अब तक मिले रुझानों के मुताबिक एनडीए को 342 सीटें, यूपीए को 86 सीटें, सपा-बसपा गठबंधन को 20 और अन्य को 91 सीटों पर बढ़त हासिल है. इस हिसाब से पीएम मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री बन सकते हैं.
एक राउंड की गणना में लगता है इतना समय
प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र के लिए एक साथ 14 ईवीएम की गिनती एक साथ होती है. अमूमन हर दौर में 30 से 45 मिनट का समय लगता है. मतगणना टेबल के चारों ओर पार्टियों या उम्मीदवारों के एजेंट पैनी निगाह रखे रहते हैं. उनके लिए भी मतगणना अधिकारी तय फार्म 17 सी का अंतिम हिस्सा भरवाते हैं. फॉर्म 17 सी का पहला हिस्सा मतदान के पोलिंग एजेंट की मौजूदगी और दस्तखत के साथ पोलिंग प्रक्रिया शुरू करते समय भरा जाता है. मतगणना के समय आखिरी हिस्सा भरा जाता है.
गिनती शुरू करने की क्या है नियमावली
पोस्टल बैलेट बाद इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफरेबल पोस्टल बैलेट (ETPBS) भी अगर आए हों तो उनकी गिनती होती है. इन पर QR कोड होता है. उसके जरिए गिनती होती है. आयोग की नियमावली के मुताबिक पोस्टल बैलेट और ईटीपीबीएस की गिनती पूरी होने के आधा घंटा बाद ईवीएम में दिए गए मतों की गिनती शुरू होती है. इसके लिए हरेक विधान सभा इलाके के हिसाब से सेंटर में 14 टेबल लगाए जाते हैं.
7:45 बजे से शुरू होगी काउंटिंग
सुबह 7:45 से मतों की गणनाशुरू हो जाती है. सरकारी ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों द्वारा पोस्टल बैलेट के जरिए डाले गए वोटों की गिनती पहले होती है. सेना के कर्मचारियों को भी पोस्टल बैलेट से मतदान का अधिकार है. पोस्टल बैलेट के लिए चार टेबल तय होते हैं. सभी राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों के नुमाइंदे इस गणना के गवाह होते हैं. हरेक टेबल पर मतगणना कर्मचारी को हरेक राउंड के लिए पांच सौ से ज्यादा बैलेट पेपर नहीं दिए जाते हैं.
ये करते हैं वोटों की गिनती
Counting से पहले किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को यह नहीं बताया जाता है कि उसे किस सेंटर पर भेजा जाएगा. काउंटिंग के दिन इन कर्मचारियों को सुबह 5 बजे काउंटिंग टेबल पर बैठना होता है. हर काउंटिंग टेबल पर काउंटिंग सुपरवाइजर, असिस्टेंट व माइक्रो पर्यवेक्षक होता है. इसके बाद इनके टेबल पर बैलेट यूनिट रखी जाती हैं. टेबल के चारों ओर जाली की घेराबंदी भी की जाती है.
मतगणना में सरकारी विभागों में कार्यरत केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारी शामिल होते हैं. इन्हें एक हफ्ते पहले काउंटिंग सेंटर पर ट्रेनिंग दी जाती है. ट्रेनिंग में जिला निर्वाचन अधिकारी और चुनाव से संबंधित जिले के वे अधिकारी शामिल होते हैं जिनकी ड्यूटी चुनाव में लगी है. काउंटिंग से एक दिन पहले ट्रेंनिंग देने बाद उन्हें संबंधित संसदीय क्षेत्र में 24 घंटे के लिए भेज जाता है.
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