COVID-19: लॉकडाउन के साइड इफेक्ट्स, फुटबॉलरों में बढ़ रहा तनाव और अवसाद
वैश्विक खिलाड़ियों के संघ फीफप्रो ने सोमवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी. इसने इंग्लैंड, फ्रांस, स्कॉटलैंड, आस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे 16 देशों के 1602 फुटबॉलरों का सर्वे किया जिनमें 468 महिला खिलाड़ी शामिल थी.
नई दिल्ली:
कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनिया भर में जारी लॉकडाउन से पेशेवर फुटबॉलरों में तनाव और अवसाद की घटनायें बढ रही हैं चूंकि लंबे समय से वे मैदान से दूर हैं. वैश्विक खिलाड़ियों के संघ फीफप्रो ने सोमवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी. इसने इंग्लैंड, फ्रांस, स्कॉटलैंड, आस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे 16 देशों के 1602 फुटबॉलरों का सर्वे किया जिनमें 468 महिला खिलाड़ी शामिल थी. इसमें पाया गया कि पुरूषों में 13 प्रतिशत और महिलाओं में 22 प्रतिशत महिला खिलाड़ियों ने अवसाद के लक्षणों का खुलासा किया.
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पांच में से एक महिला और पुरूष खिलाड़ी में चिंता के लक्षण पाये गए. फ्रांस के पूर्व खिलाड़ी और फीफप्रो के मुख्य चिकित्सा अधिकारी विंसेंट जी ने कहा, ‘‘फुटबॉल में काफी युवा महिला और पुरूष खिलाड़ी सामाजिक एकाकीकरण से जूझ रहे हैं चूंकि उनका काम बंद पड़ा है और भविष्य भी अनिश्चित है.’’ कोरोना महामारी के कारण दुनिया भर में खेल बंद हैं. लगभग सभी देशों में फुटबॉलर अपने घरों में बंद है.
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लॉकडाउन केवल फुटबॉल खिलाड़ियों पर ही नहीं बल्कि क्रिकेट खिलाड़ियों पर भी बुरा असर डाल सकता है. आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के कोच पैडी अपटन ने कुछ दिनों पहले कहा था कि आईपीएल स्थगित या रद्द होने की वजह से भारत के कई उभरते सितारे डिप्रेशन में जा सकते हैं. अपटन ने कहा था कि दुनियाभर में कोरोना वायरस की वजह से लगे लंबे ब्रेक की वजह से केवल खिलाड़ी ही नहीं बल्कि आम आदमी भी डिप्रेशन और टेंशन में आ सकते हैं. इसके साथ ही लोगों में असुरक्षा की भी भावना बढ़ सकती है.
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पैडी अपटन ने कहा कि जो खिलाड़ी अपने खेल के अलावा अन्य खेल और गतिविधियों में हिस्सा लेते रहते हैं, उन्हें इन दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा. लेकिन जो खिलाड़ी केवल क्रिकेट पर ही फोकस करते हैं, उन्हें समस्याएं हो सकती हैं.
(भाषा इनपुट्स के साथ)
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